गुड फ्राइडे पर चर्च में हुआ दुख भोग का पाठ

ग्वालियर । ईसाई धर्मग्रंथों के अनुसार, गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था। उस दिन शुक्रवार था और उन्हीं की याद में गुड फ्राइडे का पर्व मनाया जाता है। इसी अवसर पर आज संजना गिरजाघर फालका बाजार संत पाल चर्च मुरार सहित शहर के सभी प्रमुख चर्चों में क्रूस का मार्ग सुबह सात बजे आयोजित किया गया। वहीं संत जान द बपतिस्ट चर्च में 8 बजे क्रूस का रास्ता हिंदी नाटक का मंचन किया गया। इस अवसर पर आज ईसाई धर्म के लोग दिन भर चर्चों में प्रार्थना करेंगे और दोपहर 3 बजे प्रभु यीशु मसीह के मृत्यु का स्मरण और उनके दुख भोग का पाठ किया जाएगा। इस दौरान परम प्रसाद का वितरण भी किया जाएगा और इसी के साथ 40 दिन का उपवास परेश का समापन होगा। शनिवार की मध्य रात्रि 12 बजे यानी रविवार को प्रभु यीशु का पुनर्जीवित होने का पर्व ईस्टर मनाया जाएगा।
गुड फ्राइडे ईस्टर से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को मनाया जाता है। आल इंडिया कैथोलिक यूनियन की प्रदेशाध्यक्ष क्वीना जेम्स ने जानकारी देते हूए बताया कि गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे और ब्लैक फ्राइडे भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि ईसा मसीह अपनी मृत्यु के तीन दिन बाद पुन: जीवित हुए थे और उस दिन रविवार था, तब से उस रविवार को ईस्टर संडे कहा जाता हैं। ये पर्व ईसाई धर्म के लोग लगभग 40 दिनों तक मनाते हैं। ईसाई धर्म को मानने वाले लोग गुड फ्राइडे पर प्रभु यीशू के उपदेशों को सुनते हैं और उनके बलिदान को याद करते हैं। इस दिन शहर के सभी चर्चो में विशेष प्रार्थाना आयोजित की जाती है। प्रार्थना के दौरान चर्च में घंटा नहीं बजाया जाता, सिर्फ लकड़ी के खटखटे से आवाज की जाती है। इसके बाद लोग ईसा मसीह के प्रतीक माने जाने वाले क्रास को चूमते हैं और यीशू के बताए प्रेम, सत्य और विश्वास के मार्ग पर चलने की शपथ लेते हैं। इस दिन लोग चर्चों में कैंडल जलाकर मन्नतें भी मांगते हैं, और मन्नतें पूरी होने पर एक बार फिर इसी दिन कैंडल जलाते हैं।