यादों में आलोक:शब्द ही उनकी ज़िंदगी थी और शब्द ही रोजी रोटी

-इंडिया शाम तक-
ग्वालियर । स्व आलोक तोमर ने हिंदी पत्रकारिता और रिपोर्टिंग को एक नई धार दी। उन्होंने इसके जरिये राजनीति,समाज और अपराध क्षेत्र की सडांध को उजागर किया और जिसे पत्रकारिता में खुराफात कहा गया लेकिन वे अपनी इन खुराफातों के जरिये पत्रकारिता को नई ऊंचाइयां देते रहे भले ही इनके चलते उनकी नौकरी तक चली गई हो।
चर्चा मंडल संस्था द्वारा स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान में स्व आलोक तोमर की पुण्यतिथि पर आयोजित यादों में आलोक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका विषय था- राजनीति का अंधविश्वास और मुक्ति का रास्ता। इसके मुख्य वक्ता थे जाने -माने लेखक पत्रकार सोपान जोशी और अध्यक्षता प्रो शेर सिंह भाकर कुलपति आईटीएम विवि ने की । संचालन जयंत तोमर ने किया।
इस मौके पर श्री जोशी ने कहाकि भाषण की समाज को नही राजनीति को जरूरत होती है । राजनीति में उकसाने के लिए वाक्पटुता का इस्तेमाल भाषण के रूप में किया जाता लेकिन इसका असली उपयोग समाज मे कला के जरिये किया जाता है। लेकिन अब यह बात विलुप्त होती जा रही है।
ज्यादातर लोग कूपमंडूक है जिनके अपने विचार का कुआं है लेकिन हमें दूसरे कुएं भी है जिनमे घूमकर आना ताकि जान सको कि और भी विचार है । इस तरह बोलने के जरिये आप विचार को मजबूत बना सकते हैं।