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निगम-मंडल नियुक्तियां:नाम सरकार का हुकुम महाराज का 

निगम-मंडल नियुक्तियां:नाम सरकार का हुकुम महाराज का 

नाम सरकार का हुकुम महाराज का 
निगम – मंडल अध्यक्षो की नियुक्तियों में भी सिंधिया का दबदबा
भोपाल । लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मप्र सरकार में निगम मंडलों में नियुक्तियों का सिलसिला शुरू हो गया है । आज सरकार ने जो नियुक्तियां उसमे से ज्यादातर  केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों के खाते में गई । उप चुनाव में हारकर विधायकी गंवाने वाले सभी सिंधिया समर्थकों का एक साथ ही पुनर्वास कर दिया गया।
सरकार बनने के साथ ही निगम मंडलों में नियुक्तियों को लेकर अटकलें चल रहीं थी लेकिन हो नहीं पा रहीं थी पहले माना जा रहा था कि अंचल के कुछ भाजपा नेताओ का पुनर्वास होगा और कुछ सिंधिया समर्थक एडजस्ट होंगे । लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार सरकार ने  नियुक्तियां की लेकिन ग्वालियर चम्बल के सभी नियुक्त सभी  सिंधिया समर्थक है । इन सभी  ने कांग्रेस के खिलाफत बगावत करके कमलनाथ सरकार गिराने में महती भूमिका अदा की थी और कांग्रेस के विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा टिकिट पर चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे । तब से इनके पुनर्वास की अटकलें लग रहीं थी ।
आज निकले नियुक्ति आदेशो के अनुसार महिला बाल विकास मंत्री रह चुकीं श्रीमती इमरती देवी को लघु उद्योग निगम का चेयरमैन बनाया गया है जबकि मुरैना से विधायक का उप चुनाव हार चुके रघुराज सिंह कंसाना को पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया है । इनके अलावा पीएचई मंत्री रहे एदल सिंह कंसाना को एमपी एग्रो का चेयरमैन बनाया गया है । इनके अलावा रणवीर जाटव, जसवंत जाटव और मुन्नालाल गोयल की भी ताजपोशी हो गई।
 ग्वालियर – चम्बल अंचल में भाजपा नेताओं को निराशा ही हाथ लगी है । यहां जयभान सिंह पवैया जैसे दिग्गज नेता और नारायण सिंह कुशवाह जैसे नेताओ के अलावा वेद प्रकाश शर्मा को इनमे पद मिलने की उम्मीद थी लेकिन एक भी भाजपाई स्थान नही पा सका इस कारण पार्टी के कार्यकर्ताओं में निराशा है ।
मेले का गठन भी जल्द होगा
लंबे समय से मेला और ग्वालियर विकास प्राधिकरण के बोर्ड भी खाली पड़े हैं । इनमे नियुक्तियों को लेकर भी जबरदस्त रस्साकशी चल रही है । माना जा रहा है जल्द ही इनमे भी बोर्ड बन जायेगा और इनमे भी सिंधिया का दबदबा रहने की संभावना है ।
सिंधिया ने गिराई थी सरकार
दस साल के बाद 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ी थी । इसमें कॉंग्रेस बड़े दल के रूप में आई थी । काँग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाई लेकिन उनके ज्योतिरादित्य सिंधिया से मतभेद चलते रहे लेकिन कोरोनाकाल में सिंधिया की नाराजी इतनी बढ़ी कि उन्होंने समर्थक विधायको से त्यागपत्र दिलाकर कांग्रेस को अल्पमत में ला दिया । आखिरकार कमलनाथ सरकार गिर गई और एक बार फिर शिवराज सिंह के नेतृत्व में सरकार का गठन किया गया । लेकिन इस बार की सरकार शिवराज और भाजपा की पुरानी सरकारों से अलग है । अब ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबदबा साफ नजर आ रहा है फिर चाहे वह सत्ता हो या संगठन ।
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