संगठन महामंत्री ने मंत्रियों से लिया एक साल का हिसाब; बैठक में नहीं पहुंचे बिसाहूलाल सहित अन्य आदिवासी मंत्री

प्रदेश में बीजेपी अपने मंत्रियों पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। खाद्य और आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह के विवादित बयान को लेकर मचे बवाल के बीच सोमवार को पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष सोमवार को मंत्रियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की, लेकिन बैठक में बिसाहूलाल सहित विजय शाह, मीना सिंह, रामकिशोर कांवरे और प्रेम सिंह ठाकुर बैठक में नहीं पहुंचे। इसको लेकर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से सवाल पूछा गया तो वे किनारा कर गए।
बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री ने शिवराज कैबिनेट के सभी मंत्रियों की बैठक बुलाई थी। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पार्टी के प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा मौजूद रहे। इस दाैरान मंत्रियों के परफॉर्मेंस के बारे में बात हुई। बैठक शुरू हुई तब 15 ही मौजूद रहे। इसको लेकर संतोष ने नाराजगी भी व्यक्त की थी। लेकिन आधे घंटे बाद लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव, संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर व पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया पहुंचे थे। जबकि उद्योग मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह दत्तीगांव बीजेपी कार्यालय पहुंचे, लेकिन बैठक में शामिल नहीं हुए।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय संगठन महामंत्री ने मंत्रियों से कहा- कोई कितना भी बड़ा नेता क्यों ना हो, संगठन के लिए एक आम कार्यकर्ता ही है। संगठन और सरकार के साथ बेहतर तालमेल के साथ काम करें। संतोष ने मंत्रियों से पूछा- संगठन से आप लोगों की क्या अपेक्षाएं हैं? इस पर कोई मंत्री खुलकर नहीं बोला, लेकिन संतोष ने साफ तौर पर कहा दिया कि संगठन को मंत्रियों से जो अपेक्षाएं हैं, उन्हें हर हाल में एक साल में पूरा करना है। उन्होंने हर मंत्री से उनके विभाग की उपलब्धियों की जानकारी भी ली।
खास बात यह है कि बैठक में आदिवासी समुदाय के मंत्री नहीं पहुंचे। एक दिन पहले ही खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह द्वारा महिलाओं को लेकर की गई विवादित टिप्पणी पर राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने नाराजगी व्यक्त की थी। हालांकि इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा ने बिसाहूलाल को तबल कर इस तरह के बयान नहीं देने की चेतावनी दी थी। लेकिन आज की बैठक में बिसाहूलाल सहित अन्य आदिवासी मंत्रियों का बैठक में नहीं पहुचंने से सवाल उठ रहे हैं।
इस बैठक को सरकार पर संगठन का नियंत्रण मजबूत करने के साथ अगले विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियों की शुरुआत के रूप में भी देखा जा रहा है। वे बूथ और मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ पहले ही बैठक कर चुके हैं। अब मंत्रियों के साथ चर्चा में उनके कामकाज का हिसाब मांगा गया। जानकारी के मुताबिक इसमें ज्यादा जोर पार्टी के चुनावी वादों पर था।