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पिता ने चेटिंग करने से रोका तो बेटी के दोस्त ने साथी की मदद से गोली मारी, पुलिस ने आरोपियों को दबोचा,

पिता ने चेटिंग करने से रोका तो बेटी के दोस्त ने साथी की मदद से गोली मारी, पुलिस ने आरोपियों को दबोचा,

ग्वालियर. समाधिया कालोनी में व्यापारी दंपति को गोली मारकर हत्या के प्रयास के मामला का खुलासा पुलिस ने 12 घंटे में कर दिया है। राजेश वाधवानी व उनकी पत्नी सोनिया वाधवानी को गोली मारने के आरोप में संस्कार परिहार व समीर खान को सिकंदर कंपू से दबोच लिया। पड़ताल में पता चला कि व्यापारी की नाबालिग बेटी से आरोपित की दोस्ती इंस्टाग्राम पर हुई थी। घरवालों को पता चलने पर पिता ने संबंध आगे बढ़ने से पहले ही युवक को फटकार लगाकर बात चेटिंग के करने से रोकने का प्रयास किया। इससे नाराज होकर संस्कार ने दोस्त की मदद से किशोरी के माता -पिता की गोली मारकर हत्या करने का प्रयास किया। पुलिस ने गोली मारने की सुराग लगाने के लिए एफएसएल की टीम की मदद ली। घटनास्थल से साफ हो गया था कि आरोपित व्यापारी की हत्या करने इरादे से आए ही थे। इसी अाधार पर पुलिस घर में चल रहे विवादों को खंगालने की कोशिश की थी। पहले घरवाले कुछ बोलने को तैयार नहीं थे। फिर सबकुछ पुलिस को बता दिया।

व्यापारी को रात करीब डेढ़ बजे घर में किसी के घूमने की आहट सुनाई दी। व्यापारी ने कमरे का दरवाजा खोला। दरवाजे के सामने ही एक नकाबपोश बदमाश खड़ा था। बदमाश ने दरवाजा खुलते ही गोली चला दी। गोली व्यापारी के पेट में लगी और वह बचने के लिए दरवाजा धकेलकर अंदर की तरफ भागे। इसी बीच गोली की आवाज सुनकर मेरी नींद खुल गईं। बदमाश ने पिस्टल से दो और फायर किए। मेरे हाथ में लगी। पति-पत्नी को गोली मारने के बाद बदमाश जिस रास्ते से घर में घुसा था, उसी रास्ते से भाग गया। गोलियों की आवाज सुनकर माता-पिता व बच्चों के साथ पड़ोसी भी जाग गए। हमले से पूरा परिवार बुरी तरह से घबरा गया। अब भी दहशत में है। सोनिया के आंखे में मौत की दहशत साफ नजर आ रही थी।पड़ताल के दौरान घरवालों ने ही गोली मारने वाले संस्कार निवासी अजयपुर का नाम बता दिया था। संस्कार को पकड़ने के बाद पुलिस ने उसके दोस्त समीर खान निवासी वीरपुर को पकड़ लिया। इनके पास से 32 बोर के दो पिस्टल बरामद की है। पुलिस पता लगाने का प्रयास कर रही है कि दोनों युवक पिस्टल कहां से लाए। दोनों आरोपितों की उम्र 18 से 19 वर्ष है। दोनों आवारा प्रवृत्ति के हैं। मजदूरी करते हैं। संस्कार की योजना संपन्न परिवार की बेटी को फंसाकर ऐशो-आराम की जिंदगी जीने की थी।

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