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कांग्रेस विधायक संजय यादव के बेटे ने खुद को गोली मारकर की खुदकुशी

कांग्रेस विधायक संजय यादव के बेटे ने खुद को गोली मारकर की खुदकुशी

जबलपुर। कांग्रेस के बरगी विधानसभा क्षेत्र के विधायक संजय यादव के छोटे बेटे ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। गोरखपुर हाथीताल स्थित विधायक निवास में संजय यादव के बेटे विभव (विभु) यादव 17 वर्ष ने गोली चलाई। गुरुवार की दोपहर उसने खुद को कमरे में बंद कर घटना को अंजाम दिया। उस वक्त स्वजन घर पर नहीं थे। गोली की आवाज सुनकर गार्ड ने शोर मचाया। पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया। विभोर ने चार पन्नों का अंग्रेजी में सुसाइड नोट भी लिखा। जिसमें दोस्त के बुलाने का जिक्र किया। विभव को अस्पताल लाया गया लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने सुसाइड नोट जब्त कर लिया है। उसने यह कदम क्यों उठाया, इसकी जांच की जा रही है। शव को मेडिकल अस्पताल की मरचुरी में रखवाया गया है। विभव ने जिस लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली चलाई, वह विधायक संजय यादव के नाम थी। जिसे विधायक हर वक्त अपने साथ सुरक्षा के लिए रखते थे। गुरुवार को शहर में कमलनाथ के 15 नवंबर के आगमन को लेकर महाराजपुर में कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक थी। शहर में रहने की वजह से बैठक में संजय यादव अपनी रिवाल्वर नहीं ले गए। संजय यादव की पत्नी सीमा यादव भोपाल किसी काम से दोपहर 12 बजे गईं। उनके साथ संजय यादव को भी जाना था आयोजन की तैयारी की वजह से वे साथ नहीं गए। इधर विभव का बड़ा भाई पेट्रोल पंप गया हुआ था। घर पर खुद को अकेला पाकर विभव ने कमरे को अंदर से बंद कर घटना को अंजाम दिया। संजय यादव की लाइसेंसी रिवाल्वर हर वक्त लोड रहती थी।

नौकरों ने पड़ोसियों को बुलाया दरवाजा तोड़ा : दोपहर करीब दो बजे गोली चलने की आवाज सुन नौकरों ने दरवाजा खोलने की कोशिश की। अंदर से बंद होने के कारण नौकरों ने पड़ोसियों को बुलाया। जिन्होंने दरवाजा तोड़ा। विभव को खून से लथपथ हालात में कटंगा स्थित भंडारी अस्पताल ले जाया गया। जहां उसकी मौत हो गई।

दोस्त बुला रहे है, मम्मी पापा अच्छे हैं : विभव विभु के कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है। अंग्रेजी में लिखे इस सुसाइड नोट में विभु ने लिखा है कि मम्मी-पापा अच्छे है। उसने आगे यह भी लिखा है कि उसे दोस्त बुला रहे हैं। हालांकि पुलिस ने अब तक सुसाइड नोट में लिखी बातों की पुष्टि नहीं की है। विभव कक्षा 11वीं का विद्यार्थी था और वह मनोविज्ञान की पढ़़ाई कर रहा था। पढ़ाई में होनहार होने की वजह से मनोविज्ञान की पढ़ाई के लिए उसे पिता संजय यादव विदेश में पढ़ने भेजना चाह रहे थे।

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