खाद न मिलने पर बंगले के दरवाजे पर चिल्लाते रहे किसान, कलेक्टर ने निकलना भी मुनासिब नहीं समझा

Morena. जिले में खाद का संकट विकराल रुप ले चुका है। किसान को 10 बोरी खाद चाहिए लेकिन उसे दो बोरी देकर टरकाया जा रहा है। किसान की फसल चौपट हो रही है, और वह उसे चौपट होत देखने को मजबूर है। गल्ला मंडी में खाद लेने आए किसानों को जब खाद नहीं मिला तो उन्होंने एमएस रोड स्थित कलेक्टर बंगले का घेराव किया। सुबह 8 बजे ही किसान बंगले के सामने एकत्रित हो गए। किसान चिल्लाते रहे कलेक्टर साहब, बाहर आओ, हमारी समस्या सुनो, लेकिन कलेक्टर अपने बंगले से बाहर नहीं निकले। एक घंटे तक किसान चिल्लाते रहे। उसके बाद एसडीएम संजीव जैन किसानों के बीच पहुंचे तथा उनको समझा-बुझाकर वापस भेज दिया। आपको बता दें, कि किसान सरकार की मार से जूूझ रहा है। उसे खाद नहीं मिल रही है जिससे उसकी फसल चौपट हो रही है। अगर वह खाद लेने िनजी दुकानों पर जाता है तो उसे हर बोरी पर चार सौ से पांच सौ रुपए अधिक देने पड़ रहे हैं। किसान के पास इतने पैसे नहीं है कि वह ऊंचे दामों पर खाद खरीद सके। उसके ऊपर पहले से ही काफी कर्जा चढ़ा हुआ है।
जिला प्रशासन ने पूरे शहर में एक ही वितरण केन्द्र बनाया है। यह वितरण केन्द्र गल्ला मण्डी में है। वहां आस-पास के गांवों के किसान खाद लेने पहुंचे। उन्हें जो पर्ची दी गई थी उसके हिसाब से आज खाद मिलना थी लेकिन वह उन्हें मिली नहीं। कुछ एक किसानों को खाद मिली तो वह मात्र दो बोरी दी गईं। इससे किसान भड़क गए। उन्होंने वहां मौजूद अधिकारियों से जब कहा तो वे बोले कि 28 अक्टूबर की पर्ची ले जाओ और अगर खाद आ गई तो मिल जाएगी। यह निश्चित नहीं है कि खाद मिले ही मिले। खाद न मिलते देख किसान विचलित हो गए। कोई रास्ता सूझता न देख वे कलेक्टर बंगले पर इस उम्मीद पर पहुंचे कि कलेक्टर से विनती करके वे अपनी समस्या का निदान करवा लेंगे। जब किसान कलेक्टर बंगले पर पहुंचे तो कलेक्टर बाहर नहीं निकले। किसान एक घंटे तक बंगले पर खड़े रहे तथा चिल्लाते रहे कि कलेक्टर साहब बाहर निकलो, हमारी समस्या सुनो, लेकिन कलेक्टर बक्की कार्तिकेयन ने बंगले के गेट पर आकर किसानों की समस्या को सुनना मुनासिब नहीं समझा। एक घंटे तक किसान चल्लाते रहे लेकिन कोई निकल कर नहीं आया। उलटा संबंधित थाने से पुलिस पहुंच गई।एक घंटे बाद एसडीएम व निगमायुक्त संजीव जैन किसानों के बीच पहुंचे तथा उन्होंने उनसे कहा कि खाद की कमी है। जितनी खाद उन्हें मिलती जा रही है, उतनी वे बांटते जा रहे हैं। खाद की समस्या है। जैसे ही मिलेगी उन्हें बांट दी जाएगी। उनके समझाने पर किसान शांत हुए तथा घेराव बंद किया।