मुरैना में खदान से अवैध पत्थर का खनन करने वाले माफिया ने वन अमले को खदेड़ ताबड़तोड़ फायरिंग कीl

मुरैना .पत्थर की खदान से अवैध पत्थर का खनन करने वाले माफिया ने वन अमले को खदेड़ दिया। माफिया व उसके साथियों ने न केवल खदेड़ा बल्कि उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। फायरिंग होने से वन अमला डर गया तथा उलटे पैर जान बचाकर भाग आया। वन अमले का कहना है कि उसने मौके पर पुलिस को बुलाने के लिए खबर की लेकिन पुलिस नहीं पहुंची। दूसरी तरफ रिठौरा थाना पुलिस का कहना है कि जैसे ही उन्हें सूचना दी गई वे मौके पर पहुंचे लेकिन तब तक वन अमले के सदस्य वहां से जा चुके थे। आपको बता दें, कि जिले में अवैध पत्थर खनन माफिया पूरी तरह सक्रिय हैं। यह रात में खदानों से अवैध पत्थर का खनन करते हैं। इन माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि ये वन अमले पर भी फायरिंग करने से नहीं चूकते हैं। इसी प्रकार का हदसा गुरुवार-शुक्रवार की दरम्यानी रात घट गया।
वन विभाग के रिठौरा में पदस्थ डिप्टी रेंजर जितेन्द्र रघुवंशी को खबर मिली कि ग्राम पढ़ावली में पर्यटन विभाग के रेस्ट हाउस के सामने मौजूद खदान में माफिया द्वारा व्यापक स्तर पर पत्थर का अवैध खनन किया जा रहा है। सूचना मिलते ही डिप्टी रेंजर सोलंकी अपने दर्जन भर अमले के साथ मौके पर पहुंच गए। वहां जाकर देखा तो लगभग एक सैकड़ा लोग अवैध खनन में लगे थे। मौके पर दो एलएनटी मशीनों द्वारा खुदाई की जा रही थी। वन अमले ने एलएनटी मशीन को पकड़ने के लिए जैसे ही कदम बढ़ाए वहां खनन कर रहे मौजूद माफिया द्वारा उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। अचानक हुए हमले से वन अमला घबरा गया तथा जान बचाकर उलटे पैर भाग खड़ा हुआ।
डिप्टी रेंजर सोलंकी का कहना है कि वहां पहुंचकर उन्होंने रिठौरा थाना पुलिस को फोन पर खबर की कि पुलिस भेज दें, लेकिन पुलिस नहीं भेजी गई। रिठौरा थाना पुलिस का कहना है कि जब वह मौके पर पहुंची तब तक वन अमला वहां से जा चुका था। लिहाजा वह लोग भी वापस आ गए।
वन अमले का नेतृत्व कर रहे डिप्टी रेंजर का कहना है कि उनके पास फायरिंग करने का अधिकार नहीं है। इसके लिए उन्हें अपने वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति लेना पड़ती है। इसके अलावा वह केवल संख्या में 10 से 12 लोग थे, जबकि माफिया व उसके लोगों की संख्या लगभग 100 थी। इसलिए अपनी जान की सलामती चाहते हुए वह लोग वापस भाग आए।
रेंजर स्तर के अधिकारी फोन से कर रहे नेतृत्व
आपको बता दें, कि एलएनटी मशीन को पकड़ने के लिए मात्र 10 से 12 लोग गए थे। जबकि ऐसे मौकों पर पर्याप्त संख्या में सशस्त्र बल ले जाया जाता है। अमले का नेतृत्व केवल एक डिप्टी रेंजर स्तर के अधिकारी जितेन्द्र सोलंकी कर रहे थे तथा रेंजर स्तर के अधिकारी दीपांकर सिंह मुरैना में बैठकर फोन पर उनको लीड कर रहे बताए जाते हैं। फिलहाल इस मामले में वन अमले की काफी किरकिरी हो रही है।