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400वें प्रकाश पर्व को लेकर तेज हुईं गतिविधियां, ट्रकों से किला पहुंच रहे जत्थे, सिंधिया चार को नहीं करेंगे शिरकत

400वें प्रकाश पर्व को लेकर तेज हुईं गतिविधियां, ट्रकों से किला पहुंच रहे जत्थे, सिंधिया चार को नहीं करेंगे शिरकत

ग्वालियर ( ग्वालियर किला स्थित गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ परिसर में चार अक्टूबर से आरंभ होने वाले 400वें प्रकाश पर्व की तैयारियां शूुरू हो चुकी हैं। पर्व का समापन छह अक्टूबर को होगा। पहले दिन के कार्यक्रम में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल होने वाले थे लेकिन उनका दौरा अभी केंसिल हो गया है।

प्रकाश पर्व का समय नजदीक आते ही ट्रकों से भरकर संगतें आने लगी हैं, जो ग्वालियर दुर्ग पर पहुंच रही हैं, लेकिन इससे पहले उन्हें ऊबड़-खाबड़ सड़कों से होकर गुजरना पड़ रहा है, जबकि बाहर से आने वालीं संगतें शहर की मेहमान हैं। स्थिति गुरुद्वारा दाताबंदी छोड़ के पहुंच मार्ग की खराब है।बहोड़ापुर, जेल रोड, मानसिक आरोग्य चौराहा, शिदें की छावनी व शब्द प्रताप आश्रम रोड सहित अन्य सड़कें बदहाल स्थिति में है। शब्द प्रताप आश्रम रोड आए गड्ढे दूर से सताने वाले लगे। यहां से वाहन तो क्या आसानी से पैदल भी नहीं गुजरा जा सकता है। जेल रोड निर्मार्णाधीन है। हालांकि कुछ सड़कों की मरम्मत होती हुई नजर आ रही है, लेकिन समय कम है। ऐसे में सभी सड़कों को चमकाना मुश्किल सा नजर आ रहा है। इस दिन उरवाई गेट के आसपास झाड़ू लगाई गई। गड्ढों को भरने के लिए सड़क किनारे गिट्टी भी डाल दी गई है, लेकिन प्रकाश पर्व शुरू होने में अब सिर्फ कुछ ही घंटे शेष बचे हैं। अगर व्यवस्था की गई तो वह अस्थाई होगी। यानी इस क्षेत्र के रहवासियों को कुछ दिन के सुकून के बाद फिर से सड़कों पर चलते हुए हिचकोले खाने पड़ेंगे।

शहर की छवि बरकरार रखने के लिए काफी व्यवस्थाओं की जरूरत नजर आ रही है, क्योंकि इसमें श्ाामिल होने के लिए देश्ा के अलग-अलग शहरों से जत्थे आएंगे। ऐसे में गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ तक के पहुंच मार्ग को दुरुस्त करने के लिए प्रशासन शुक्रवार को सड़कों पर दिखा। स्थानीय विधायक और ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर व कलेक्टर आदि के प्रयास इस शाम नजर आए।

-लंगर का खाना तैयार करने आ गईं मशीनें

400वें शताब्दी प्रकाश पर्व में भव्य लंगर का आयोजन किया जाएगा रोटी आदि बनाने के लिए पंजाब से विशेष मशीनें गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ पहुंच गई हैं। लंगर की व्यवस्था संभालने के लिए पंजाब समेत अन्य राज्यों से संतों की टोलियां भी गुरुद्वारा आ चुकी हैं।

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