कहर:प्रदेश में 2004 नए कोरोना मरीज; भोपाल में 308 पॉजिटिव, एसआई समेत 7 की मौत

राजधानी में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन मरीज अस्पताल में भर्ती होने के बजाय होम आइसोलेशन में रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। आलग यह है कि करीब 50 प्रतिशत कोराना मरीज घर पर रहकर ही इलाज करा रहे हैं। भोपाल में वर्तमान में 2103 एक्टिव मरीज हैं, जिनमेें से 1026 होम आइसोलेशन में हैं। दो माह पहले यह आंकड़ा महज 44 था। इसके पीछे वजह कोविड केयर अस्पतालों में फैलीं अव्यवस्थाओं, मरीजों का इलाज और केयर नहीं होना भी बताई जा रही है। अस्पतालों के 2894 बेड में से 1220 खाली हैं। अस्पतालों में महज 1670 बेड पर मरीज हैं, यानी 42.15 फीसदी पलंग खाली हैं।
होम आइसोलेशन में रखे गए 270 मरीजों ने कॉल सेंटर की परेशानी बढ़ाई हुई है। आलम यह है कि इन मरीजों को कॉल सेंटर का अमला दिन में तीन से पांच बार कॉल करता है, लेकिन ये मरीज बारबार कॉल करने पर ही कॉल रिसीव नहीं कर रहे हैं। ऐसे में कॉल सेंटर से इन मरीजों का फॉलोअप सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। कॉल सेंटर के जिम्मेदारों का कहना है कि अगर मरीजों का रवैया यही रहा तो उनको कोविड अस्पताल में शिफ्ट करना होगा।
होम आइसोलेशन में लोगों का भरोसा बढ़ा है, इसकी मुख्य वजह हमारे डॉक्टरों को बेहतर उपचार और रोज लिए जाने वाले फॉलोअप ही हैं। यही वजह है कि होम आइसोलेशन में मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
डॉ. संगीता टांक, नोडल ऑफिसर, होम आइसोलेशन वीडियो कॉलिंग
पिपलानी निवासी 39 वर्षीय मोहित जैन (परिवर्तित नाम) ने बताया कि 23 सितंबर को मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई, मुझे बुखार, खादी और बदन दर्द था। डॉक्टर ने अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी, लेकिन अस्पतालों में पसरी अव्यवस्थाओं के कारण मेरी हिम्मत ही नहीं हुई, मैं होम आइसोलेशन में ही रह रहा हूं।
चूनाभट्टी निवासी निकिता चौधरी (परिवर्तित नाम) ने बताया कि मुझे और तीन साल के बेटे को कोरोना हुआ है। डॉक्टरों ने बेटे को अस्पताल भेजने के लिए कहा, लेकिन मुझे डर था कि अस्पताल में ना तो सही से इलाज मिलेगा और ना खाने-पीने की व्यवस्थाएं। इसी कारण मैं होम आइसोलेशन में रह रही हूं।