नही रहे प्रो एपीएस चौहान

प्रो एपीएस चौहान नही रहे । अंचल के पढ़े लिखे तबके के शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो उनसे नही मिला होगा और मिलकर उनकी विद्वता से प्रभावित नही हुआ होगा ।
शिवपुरी जिले की खोड रियासत के यह राजकुमार सिर “एपीएस सर ” के नाम से विख्यात थे । प्राथमिक शिक्षा शिवपुरी से करने के बाद वे छात्र राजनीति में हाथ आजमाने ग्वालियर आये । यहां माधव कॉलेज से छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़े । जीते तो नही लेकिन यू आर बन गए और फिर जीवाजी विवि में सचिव । उंन्होने पोलिटिकल साइंस से एम ए किया तो वे अध्यययन से प्रेम करने लगे । एमफिल और पीएचडी करने दिल्ली चले गए और जेएनयू में भर्ती हो गए । यहां से वे एक परफेक्ट गांधीवादी और राजनीति के विशेषज्ञ बनकर निकले । वे जीवाजी विवि की सेवा में आ गए और यहां भी बुराइयों के खिलाफ जमकर लड़ते रहे और हर परिस्थिति में गांधीवाद का परचम लहराते रहै । वे कुलपति की दौड़ में कई बार रहे लेकिन बन नही पाए । कमलनाथ सरकार ने अपने अंतिम दिनों में उन्हें जीवाजी विवि का कुलसचिव बनाया लेकिन सरकार गई तो उनका पद भी जाता रहा । वे राजनीति विज्ञान अध्ययन शाला के प्रमुख थे । उंन्होने चम्बल अंचल में।वालिका भ्रूण हत्या के खिलाफ काफी सार्थक काम भी किया । वे काफी समय से फेंफड़े और गुर्दा रोगों की समस्याओं से जूझ रहे थे और महज तिरेसठ साल की उम्र में बीती देर रात दिल्ली के एक निजी होस्पिटल में उंन्होने अंतिम सांस ली ।
आपकी बुलंद आवाज भले ही अब बन्द हो गई हो सर लेकिन वह आपके मित्रों के कानों में जरूर सदैव गूंजती रहेगी ।
विनम्र श्रद्धांजलि
@देव श्रीमाली