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इसलिए लटक रहा है मन्त्रिमण्डल का विस्तार ,शिवराज भोपाल लौटे

इसलिए लटक रहा है मन्त्रिमण्डल का विस्तार ,शिवराज भोपाल लौटे

 

सिंधिया कुछ नये मन्त्री बनवाने और अच्छे विभागों की मांग कर रहे है,भाजपा के वरिष्ठ विधायक नही छोड़ना चाहते अपना हक
भोपाल । लगभग 85 दिनों से टलता आ रहा मप्र में शिवराज सिंह चौहान के मन्त्रिमण्डल का विस्तार एक बार फिर खटाई में है । कल स्टेट गैरेज ने 26 गाड़ियां नए मंत्रियो के लिए तैयार कर ली थी । माना जा रहा था मंगलवार को शपथ होगी लेकिन लंबी कबायद के बाद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह निराशा साथ लेकर सुबह वापिस भोपाल लौट आये ।
रविवार को सीएम शुवराज सिंह ,प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी डी शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत दिल्ली गए थे । उंन्होने केद्रीय मन्त्री नरेंद्र तोमर और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भेंट की । थोड़ी देर बार यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को मप्र के भी प्रभार देने का आदेश निकल गया क्योंकि राज्यपाल लाल जी टंडन गंभीर रूप से बीमार हैं ।
इस आदेश के साथ ही लगा मानो मन्त्रिमण्डल विस्तार का रास्ता साफ हो गया है । राज्य सरकार भी एक्टिव हुई ।मिंटो हाल की व्यवस्थाएं देखीं गई । स्टेट गैरेज ने 26 नए मंत्रियो के लिए गाड़ियां सज्जित करवाई । खबर आई राज्यपाल महोदया रविवार शाम को भोपाल पहुंच जाएगी और भाजपा से निर्वाचित और सरकार गिरवाने और बनवाने के मुख्य किरदार ज्योतिरादित्य सिंधिया 30 जून की सुबह भोपाल पहुंचेंगे।
लेकिन सोमवार को सब गड़बड़ा गया । शिवराज सिंह को दिल्ली में ही रुकने को कहा गया । वे सोमवार को पूरे दिन नेताओं के दर- दर भटकते रहे । ने कई बार श्री तोमर से मिले । दो बार नड्डा से मिले । फिर उन्हें गृह मन्त्री अमित शाह ने पहले अकेले तलब  किया और फिर अध्यक्ष और संगठन महामंत्री के साथ । इसके बाद वे ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिलने उनके घर गए।लेकिन बात नही बनी तो उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने को कहा गया । शाम चार बजे वे श्री  मोदी से भी मिले। तय कार्यक्रम के अनुसार उन्हें श्री मोदी से मिलने के बाद शाम को भोपाल लौटना था लेकिन कार्यक्रम रद्द हुआ । वे रात को दिल्ली ही रुके और रात भर लोगों से मिलकर गुत्थी सुलझाते रहे । इस बीच प्रदेश के गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा भी दिल्ली पहुंचकर इस कवायद में शरीक हो गए ।
क्या है पेंच?
आखिरकार मन्त्रिमण्डल के नामो पर सहमति क्यो नही हो पा रही ? इस सवाल के जबाव में सूत्र बताते हैं कि पेंच एक नही कई है । एक पेंच काँग्रेस तोड़कर आये ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से है । उन पर अपने समर्थकों का दबाव है । वे कमलनाथ सरकार में शामिल छह के अलावा कुछ और मन्त्री पड़ चाहते है । इनमे एक नाम ओपीएस जाटव का है और दूसरे वे गुना या अशोक नगर से किसी की ताजपोशी चाहते है । जबकि सिंधिया से इतर अलग गुट के रूप में कांग्रेस छोडने वाले एदल सिंह कंसाना,रणवीर जाटव,हरदीप सिह डंग, दिग्गज आदिवासी नेता विशाहू लाल सिंह और राज्यवर्धन सिंह दत्तीगाँव तो टीवी पर बोलते रहे है कि वे तो मन्त्री बनने के लिए ही भाजपा में गए है ।
भाजपा में भी घमासान 
अब मंत्रियो की घटती संख्या से भाजपा में घमासान मचा है । इसके कारण बेचैनी इसलिए भी हो गई क्योंकि राज्यसभा चुनाव में भाजपा के दो वोट बेकार हो गए । यानी अंदर ही अंदर सिंधिया समर्थकों के आने के विरोध का लावा धधक रहा है । शिवराज की दिक्कत ये है कि मन्त्री पद चाहने वालो की संख्या ज्यादा है और पद संख्या कम । वे निर्दलीय और सपा,बसपा के लिए कुछ सीट रिक्त रखना चाहते हैं । हाइकमान और संगठन नए लोगों को भी मौका देने के पक्ष में है लेकिन अब वरिष्ठ अपनी अनदेखी सहने को राजी नही है । ऐसे में सहमति नही बन पा रही ।
विभाग भी मुसीबत 
केवल मन्त्रिमण्डल ही नही विभागों का बंटवारा भी मुसीबत बना हुआ है । कमलनाथ सरकार गिराने वाले  छहों सिंधिया समर्थक केबिनेट मन्त्री थे और उनके पास सभी मलाईदार विभाग यानी परिवहन,स्वास्थ्य, शिक्षा खाद्य ,श्रम और महिला एवं बाल विकास थे । अब वे इन सभी के अलावा कुछ और विभाग जैसे सामान्य प्रशासन और राजस्व भी चाहते है जबकि भाजपा नेतृत्व इसके लिए तैयार नही है ।
भोपाल लौटे शिवराज
तमाम दौर की बेनतीजा चर्चाओं के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री आज सुबह भोपाल लौट आये । अभी तक कुछ भी तय नही है कि कल शपथ ग्रहण होगा कि नही । आज दिल्ली में शीर्ष नेता आपस में चर्चा करेंगे और फिर शिवराज सिंह और संगठन को बताएंगे क्या करना है ?
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