सूतक लगने से पहले ही बंद हुए मंदिरों के पट, ग्रहण के बाद होगा शुद्धिकरण

ग्वालियर। वर्ष के पहले वलयाकार सूर्य ग्रहण का असर शनिवार को शाम ढलते ही शहर के मंदिरों में नजर आया। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते पहले से मंदिरों के मुख्य द्वार बंद थे, लेकिन संध्याकालीन आरती के बाद ही सूतक लगने से पहले मंदिरों के पट बंद कर दिए गए। खगोलशास्त्रियों ने जहां ग्रहण को खुली आंखों से नहीं देखने की बात कही है, वहीं ज्योतिर्विदों ने प्राकृतिक आपदा, रोग और पड़ोसी देशों के साथ शत्रुता बढ़ने की आशंका जताई है।
सूर्य ग्रहण का सूतककाल 12 घंटे पहले शनिवार रात 10 बजकर 11 मिनट पर लगा। इसके पहले शहर के सभी देवस्थानों के पट भी बंद कर दिए गए। अब ग्रहण के बाद मंदिरों का शुद्धिकरण किया जाएगा। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते मंदिर पहले से भक्तों के लिए बंद हैं। ग्रहण के चलते लक्ष्मी वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग में आयोजित ब्रह्मोत्सव में रविवार को सुबह के सत्र के आयोजन नहीं होंगे।
नागोरिया पीठाधीश्वर विष्णुप्रपन्नााचार्य महाराज ने बताया कि प्रभु वेंकटेश का कल्याण उत्सव रात 8.30 बजे होगा। रणजीत हनुमान मंदिर के पुजारी दीपेश व्यास के अनुसार दोपहर 2ः30 बजे मंदिर का शुद्धिकरण कर प्रतिमाओं को स्नान कराएंगे। अन्नपूर्णा मंदिर के ट्रस्टी श्याम सिंघल के अनुसार ग्रहण के बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया जाएगा। खजराना गणेश मंदिर में भी ग्रहण के मोक्ष के बाद अभिषेक, श्रृंगार और आरती होगी।
प्राकृतिक आपदा और रोग बढ़ाएगा
ज्योतिर्विद पण्डित मनोज शर्मा ने बताया कि ग्रहण के आरंभ व मध्यकाल के चक्र में ग्रह स्थिति के अनुसार प्राकृतिक आपदा, रोग के भय के साथ सत्ता और विपक्ष में संघर्ष की आशंका बनती है। कोरोना संक्रमण से शुरुआत तीन माह में राहत के आसार नहीं हैं। आर्थिक रूप से कमजोर और मध्यमवर्गीय को आर्थिक संकट तकलीफ देगा।