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सिंधिया के महल के बाहर कांग्रेस ने लगाया लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस का होर्डिंग 

सिंधिया के महल के बाहर कांग्रेस ने लगाया लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस का होर्डिंग 

 

ग्वालियर । भारतीय जनता पार्टी सदैव से महारानी बलिदान दिवस के बहाने 1857 आज़ादी की पखली लड़ाई में सिंधिया परिवार की भूमिका को लेकर सवाल उठाती रही । दो दशक पहले भाजपा नेता जयभान सिंह पवैया द्वारा वलिदान मेला भी शुरू किया । जबकि कांग्रेस इस मामले में सदैव बचाव की मुद्रा में रहती थी लेकिन अब कांग्रेस में आये बदलाव के दृश्य सड़को पर साफ दिखने लगे है । चालीस साल में पहली बार है जब कांग्रेस नेताओं ने वीरांगना के बलिदान दिवस पर होर्डिंग्स लगाए हों । वह भी जयविलास पैलेस के ठीक  गेट पर ।
भाजपा के वरिष्ठ नेता जयभान सिंह पवैया दो दशक से महारानी लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस पर मेले का आयोजन करते आ रहे है । इसमें वीरांगना सम्मान भी दिया जाता है और अंग्रेजो के मित्र सिंधिया का नाटक खेलकर 1857 की लड़ाई में सिंधिया परिवार की भूमिका पर बजी सवाल उठाए जाते है ।
लेकिन इस मामले में कांग्रेस को सदैव बचाव की मुद्रा में रहना पड़ता था । इसकी बजह थी कांग्रेस में सिंधिया परिवार का निर्णायक कद । देश स्वतंत्र होते ही राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी और 1967 तक कांग्रेस का हर फैसला उनके हिसाब से ही होता था । 1967 में वे जनसंघ के साथ हो गईं तो नगर निगम की तत्कालीन स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमेन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कक्का डोंगर सिंह के अथक प्रयासों से बलिदान स्थल पर रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा की स्थापना हुई । 1977 में हालांकि माधव राव सिंधिया ने निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन उनको कांग्रेस का समर्थन था और जीतते ही वे कांग्रेस में शामिल हो गए । तब से लेकर 2020 तक अंचल की कांग्रेस सिंधिया परिवार के ही हवाले रही ।
अब बदलाव की बयार
लेकिन अचानक अब सब कुछ बदल चुका है । अब कांग्रेस पूरी तरह सिंधिया परिवार के प्रभाव से मुक्त हो चुकी है । ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी में अपनी कथित उपेक्षा से इतने दुःखी हुए कि उन्होंने अपनी पार्टी की सरकार को ही गिराते हुए अपने सभी समर्थक विधायको के इस्तीफे दिलवा दिए और भाजपा में शामिल हो गए । वे पिछला लोकसभा चुनाव सवा लाख मतों के भारी अंतर से हार गए थे अब वे भाजपा की तरफ से राज्यसभा के लिए प्रत्याशी हैं।
लेकिन अब कांग्रेस में भी बदलाव आना शुरू हो गए हैं । सबसे बड़ा बदलाव यह देखने को मिला कि रानी लक्ष्मीबाई के वलिदान दिवस  पर स्वतंत्रता के बाद पहली बार कांग्रेस नेताओं ने शहर में दर्जनों होर्डिंग्स लगवाए है जिनके जरिये उनकी शहादत को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई है । खास बात यह भी कि इनमे से एक होर्डिंग सिंधिया के शाही जयविलासपैलेस के ठीक सामने और स्व माधव राव सिंधिया की प्रतिमा के ऊपर भी लगाया गया है ।
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