बसपा को तोड़कर ताकत बढ़ा रही कांग्रेस

बहुजन समाज पार्टी ने मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव अपने दम पर लड़ने का एलान कर कांग्रेस को जो चुनौती दी है, उससे निपटने के लिए कांग्रेस ने उसके बड़े नेताओं को तोड़कर खुद की ताकत बढ़ाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। खासतौर पर ग्वालियर-चंबल संभाग में पार्टी इस रणनीति पर अमल कर रही है।
24 विधानसभा सीटों में से 16 ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं जो उत्तर प्रदेश की सीमा से लगी है। यहां बहुजन समाज पार्टी का प्रभाव है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा को यहां करीब तीन लाख वोट और एक सीट मिली थी। ज्यादातर सीटों पर बसपा के प्रत्याशियों को पांच अंकों में वोट मिले जो दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे थे।
ग्वालियर-चंबल की पांच सीटों पर बसपा के ऐसे पूर्व नेताओं का प्रभाव रहा है, जो अब कांग्रेस के साथ हैं। कांग्रेस आरक्षित वर्ग के वोटों को अपनी तरफ खींचने के लिए उनके नेताओं को साथ लेने में जुटी है। इसकी वजह है बसपा को विधानसभा चुनाव 2018 में 19 लाख 11 हजार 642 वोट मिलना। इनमें से ग्वालियर-चंबल संभाग की 34 सीटों पर ही बसपा ने करीब छह लाख 30 हजार वोट हासिल किए थे।