Now Reading
रिश्तों को मजबूत धागे में पिरोने वाले अजित जोगी

रिश्तों को मजबूत धागे में पिरोने वाले अजित जोगी

स्मृति शेष / अजित जोगी

 

-देव श्रीमाली-

        पूर्व नौकरशाह और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी अब हमारे बीच नहीं रहे । वे नौकरशाही में।संवेदनशील परंपरा के अफसर थे और सियासत में सामाजिक यांत्रिकीय को मजबूत करने वाले । उनकी यह तकनीक इतनी कारगर हुई कि अर्जुन सिंह के सशक्त सियासी कुनबे,जिसमे एक से  एक यानी दिग्विजय सिंह ,सुभाष यादव आदि  दिग्गज नेताओं की मौजूदगी के बावजूद अपना बजूद बनाने में कामयाब रहे । यह वजूद इतना व्यापक और प्रभावी हुआ कि दूरस्थ छत्तीसगढ़ का यह आदिवासी नेता शहडोल जैसी सीट से सांसद बन गया । 
कहते है कि जब राजीव गांधी पायलट की नौकरी करते थे तब जोगी इन्दौर कलेक्टर थे । राजीव गांधी का वहां आना- जाना था । इसी दौरान उनकी गांधी की मुलाकातें हुई और जीवंत संपर्क रखने वाले जोगी ने सदैव उन्हें जीवित रखा जो उन्हें सियासत तक ले गई।
राजनीति में आते ही जोगी ने मध्यप्रदेश में अपने पांव पसारे । वे सामजिक संगठनों के जरिये ऐसे युवाओं को जोड़ने में जुटे जिन्हें राजनीति का ककहरा भी नही पता था । इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि छत्तीसगढ़ में पैदा हुए जोगी का ग्वालियर अंचल से महज इतना रिश्ता था कि वे आईएएस के अपने प्रोवेशन काल मे प्रशिक्षु अधिकारी के तौर पर कुछ महीनों पदस्थ रहे लेकिन जब उन्होंने राजनीति की राह पकड़ी तो भिण्ड जैसे दूरस्थ जिले में भी उनके हजारों युवा समर्थक नब्बे के दशक में थे । उंन्होने जोगी ब्रिगेड बना रखी थी और इसी के द्वारा खंडा रोड भिण्ड पर आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में श्री जोगी ने मेरा अभिनंदन और सम्मान किया था । यहीं मेरी उंनसे पहली मुलाकात हुई थी। ये 1995 की बात है ।
इसके बाद मुझे ग्वालियर में गैस कनेक्शन की दरकार हुई । इसका मिलना एक दुष्कर कार्य था । लंबी और सालों चलने वाली वेटिंग । मुझे किसी ने बताया कि संसद को हर वर्ष कुछ कनेक्शन मिलते है । मुझे स्मरण हुआ जोगी जी राज्यसभा सांसद है उंसके मांगते है । हालांकि उम्मीद शून्य थी । मैने मप्र सरकार की डायरी से उनका दिल्ली का डाक का पता ढूंढा । एक पोस्ट कार्ड पर लिखा कि मुझे गैस का कनेक्शन चाहिए । कृपया उपलब्ध कराएं । कोई जबाव नही आया । प्रयास निरर्थक गया जैसा कि लग भी रहा था । बात आई गई हो गई ।
एक दिन सुबह पांच बजे मेरे घर के फोन की घण्टी बजी । उंन्होने बताया कि उनका नामक कमल अग्निभोज है । वे दिल्ली से आये है और उनको अजित जोगी साहब ने भेजा है । एक लिफाफा है  वह आपको देना है । मैं अभी रेलवे स्टेशन पर हूँ । आप अपने घर का पता समझाएं ।  मैने उनसे कहाकि आप वही रुकें मैं आ जाता हूँ । तो उन्होंने कहाकि नही साहब ने कहा है कि आपको घर पर ही दूं । वे मेरे घर आये । लिफाफा खोला । उसने इंडेन के दो गैस कनेक्शन के कूपन थे । एक मेरे नाम से और एक खाली । उंन्होने कहाकि साहब ने कहाकि खाली अपने किसी जरूरतमंद दोस्त को दे दें ।
बाद में छत्तीसगढ़ अलग हो गया । वे वहां के पहले मुख्यमंत्री बने । हालांकि वहां वे और उनकी सरकार कई सियासी आरोपो से घिरी रही । फिर मेरा उनसे कोई सीधा संपर्क नही रहा । लेकिन कुछ साल पुरानी बात है एक रोज एक कूरियर आया । उसमें एक शादी का कार्ड था । यह विवाह रायपुर में अजित जोगी के बेटे अमित का था जिसके लिए मुझे आमंत्रण भेजा गया था । श्री जोगी एक्सीडेंट के बाद भी पूरी जिजीविषा के साथ काम कर रहे थे । मुझे लगा कोई सूची मंगाई होगी और उससे कार्ड आ गया । दो दिन बाद मोबाइल पर घंटी बजी । कॉल रिसीब किया तो सामने वाले ने मेरा नाम पूछा । मैने हामी भरी तो बोला जोगी साहब बात करेंगे । उंन्होने मेरे परिवार की कुशल क्षेम पूछी और कहा अमित की शादी है कार्ड मिला ? मैंने कहा मिल गया । वे बोले अभी ही रिजर्वेशन करा लो । अवश्य आना है । मैँ , भागीरथ प्रसाद,अशोक सिंह उनके यहां विवाह समारोह में पहुंचे तो वे बहुत प्रसन्न हुए ।
अजित जोगी जुझारू और बड़े जीवट वाले व्यक्ति थे । वे संघर्ष का रास्ता चुनते थे यही वजह है कि दुर्घटना के बाद वे शारीरिक रूप से असहाय होने के बावजूद उन्होंने उससे हालात में अपने संघर्ष के रास्ते खोजे । अपने लिए विशेष किस्म का वाहन डिजायन कराया और पूरी ताकत के साथ न केवल जीवट के साथ खड़े रहे बल्कि अपनी सियासत को भी जीवित रखे रहे । हालांकि हालातो के चलते उनके आखिरी दिन सियासत के लिहाज से चमकदार नही रहे । उन्हें अपनी मातृ संस्था कांग्रेस से अलग होना पड़ा । उनके द्वारा बनाई गई क्षेत्रीय पार्टी छत्तीसगढ़ में कोई निर्णायक भूमिका में अपने आपको खड़ी नही कर पाई बावजूद श्री जोगी की जीवंतता और संघर्ष की प्रवृति के कारण वे छत्तीसगढ़ की आबोहवा के लिए अंतिम सांस तक अपरिहार्य बने रहे ।
विनम्र श्रद्धांजलि।
फ़ोटो भिंड के खंडा रोड़ के मंच से मेरा सार्वजनिक अभिनंदन और सम्मान करते श्रीअजित जोगी और दैनिक भास्कर के तत्कालीन संपादक श्री एल इन शीतल ।
View Comments (0)

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Scroll To Top