गेहूं की बम्पर आवक के बाद भी परेशान हैं किसान, 3 से 4 दिन में हो रही है खरीदी

Gwalior. इस बार लॉक डाउन (lockdown) के बावजूद मध्य प्रदेश (madhya pradesh) की मंडियों में गेहूं (wheat) की रिकॉर्ड आवक हुई है. सरकारी लक्ष्य 50 दिन में 100 लाख मीट्रिक टन खरीद का था, लेकिन एक महीने में ही उससे ज़्यादा 110 लाख मीट्रिक टन गेहूं मंडियों में पहुंच चुका है. बावजूद इसके किसान (farmers) परेशान हैं.
एमपी में लॉकडाउन के बावजूद इस बार गेंहू की बम्पर आवक हुई है. शुरू में लग रहा था कि कोरोना संक्रमण और तमाम एहतियात के कारण इस बार मंडी सूनी रहेगी. लेकिन सारे कयास गलत साबित हुए. लॉक डाउन में सरकारी नियम के बीच किसान घर से अपनी उपज लेकर पहुंचे और मंडी आबाद हो गयी. लेकिन यहां आकर किसान परेशान है.किसानों की परेशानी की वजह गर्मी, मच्छर और गेहूं खरीदने में लगने वाला वक्त है. वो माल लेकर आ रहे हैं लेकिन उनकी उपज बिकने में 3 से चार दिन लग रहे हैं. इस बीच मंडी में रुकने की कोई माकूल व्यवस्था नहीं है. किसानों को गेहूं और अनाज से भरी ट्रॉली पर रात में सोना पड़ रहा है.किसान श्याम कुशवाह ने बताया यहां पर माल ढुलाई की व्यापक व्यवस्था नहीं है. यही कारण है मंडी में ही तीन से चार और या फिर से ज्यादा दिन तक रुकना पड़ रहा है।
किसानों ने बताया कि दिन में तपती धूप और रात में ट्रॉली पर सोना पड़ रहा है. मंडी में ठंडे पानी की व्यवस्था नहीं है. उन्होंने माल खरीदी में भी अनियमितता की शिकायत की.मंडी में मौजूद किसानों का आरोप है कि मंडी प्रशासन की तरफ से कई किसानों के अच्छे गेहूं को रिजेक्ट कर दिया गया। मंडी प्रशासन का कहना था कि गेहूं ठीक नहीं है. इसलिए उसे समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा जा सकता.अधिकारियों की मिलीभगत से खराब गेहूं खरीदा जा रहा है. इसी बात को लेकर किसानों ने शुक्गामा किया था. किसानों का कहना है गेहूं को पानी कम मिलने की वजह से उसका रंग बदल गया है और अनाज के दाना भी पहले जैसा नहीं है.