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अब कठिन हुआ सिंधिया के राज्यसभा जाने का रास्ता

अब कठिन हुआ सिंधिया के राज्यसभा जाने का रास्ता

भोपाल । मप्र कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कमलनाथ सरकार द्वारा वचन पत्र के वादे पूरा न कार्नर पर सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की धमकी देने के बाद कांग्रेस में शुरू हुआ वाकयुद्ध के अब साफ इफेक्ट आने शुरू हो गए हैं । इस विवाद में सिंधिया की संभावित राज्यसभा दावेदारी पर आशंका के बादल मंडराने लगे है ।

 

 

 

 

मध्यप्रदेश में अगले माह राज्यसभा की तीन सीटे खाली हो रही है जिन पर नए सदस्य चुने जाने हैं । जो लोग रिटायर हो रहे है उनमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ,भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और भाजपा के सत्यनारायण जटिया शामिल हैं । अब विधायक संख्या के चलते भाजपा को दो की जगह सिर्फ एक सीट मिल पाएगी जबकि कांग्रेस के एक कि जगह दो लोगो के राज्यसभा मे जाने की संभावना है ।

अभी तक राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि इनमे से एक सीट पर आलाकमान सिंधिया को राज्यसभा भेज सकता है लेकिन बीते एक हफ्ते में सियासी समीकरण गड़बड़ा गए हैं । सिंधिया की बयानवाजी से आहत सीएम कमलनाथ ने एक तरफ तो इससे पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को अवगत कराया और दूसरे मीडिया से बोले कि सड़क पर उतर जाएं । जवाब में सिंधिया ने कल रात ग्वालियर में फिर अपने बयान पर कायम रहने की बात कही तो मामला उलझ गया ।

इस विवाद के साइड इफेक्ट आना भी शुरू हो गए । अब सिंधिया के खिलाफ बाकी नेताओं ने घेराबंदी शुरू कर दी । कमलनाथ के कयास सज्जन वर्मा ने सोनिया गांधी से आह्वान किया कि वे एमपी से राज्यसभा में जाएं । उन्होंने कहाकि इंदिरा जी ने कमलनाथ जी को एमपी के छिंदवाड़ा भेजा था और अब वक्त है जब कमलनाथ जी प्रियंका गांधी को मप्र से राज्यसभा भेजें ।  उन्होंने यह भी कहाकि इससे मप्र में पार्टी को मजबूती मिलेगी ।

इसके कुछ देर बाद पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने एक ट्वीट करके कहाकि सोनिया गांधी को मप्र से राज्यसभा के चुनाव लड़ाया जाए और राहुल गांधी फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बने ।

इसके एक घण्टे बाद दिग्विजय सिंह के बेटे और नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने भी प्रियंका गांधी को मप्र से राज्यसभा से भेजा जाए ।

इस घटनाक्रम को विवाद का साइड इफेक्ट माना जा रहा है क्योंकि समर्थक विधायको  की संख्या को देखते हुए दिग्विजय सिंह का रिपीट होना तय है । इसके चलते सिंधिया की दावेदारी खटाई में पड़ सकती है ।

 

 

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