चाय सुट्टा कैफे में हो रहा कुल्हड़ का उपयोग
February 11, 2020

परम्परागत संसाधनों से रोजगार भी और पर्यावरण की रक्षा भी
ग्वालियर । मन में भरोसा अच्छी सोच नेक नीयत और परोपकार की भावना से शुरू
किया गया कार्य हमेशा सफलता की ऊॅंचाईयों तक पहुचाता है। ऐसे ही तीन
युवाओं ने सन् 2016 में एक ऐसे कैफे की परिकल्पना की जिसमें ना सिर्फ
गुणवत्ता पूर्ण पेय उपभोक्ताओं को मिल सके बल्कि उस कारोबार से पर्यावरण
की रक्षा कमजोर को रोजगार और परम्परागत संसाधन का उपयोग किया जाकर
विशिष्ट पहचान बनाई जाए।
इसी सोच के साथ अनुभव आनंद राहुल ने चाय सुट्टा बार की शुरूआत इंदौर
शहर से प्रारंभ की। चाय सुट्टा बार की खासियत है कि यहा चाय काफी कुल्हड़
में सर्व की जाती है। प्रतिदिन पूरे देश में संचालित कैफे में 1 लाख
कुल्हड़ों का इस्तेमाल किया जाता हैं जो खपत के मामले में पूरे विश्व में
सर्वाधिक हैं। सोमवार को ग्वालियर में गोविंदपुरी चाय सुट्टा कैफे का
शुभारंभ किया गया। 7 प्रकार के फ्लेवर में बनाईजाने वाली चाय में सातों
दिन अलग अलग खुशबूओं का लुफ्त लिया जा सकता है। देश भर में आज चाय सुट्टा
बार के 65 कैफे संचालित किए जा रहे है और 250 कुम्हार परिवार को सालाना
कुल्हड़ बनाने सत्त रूप से रोजगार प्राप्त हो रहा है। 2016 से अभी तक
समस्त कैफे में 3.5 करोड़ कुल्हड़ का उपयोग किया जा चूका हैं। साथ ही चाय
सुट्टा कैफे दिल्ली, मुंबई, के साथ ही विदेश में दुबई , मस्कट जैसे बड़े
शहरों में भी बहुत पसंद किया जा रहा है।
दिव्यांग जनों को कैफे में प्राथमिकता के साथ रोजगार और नारी सशक्तिकरण
के मद्दे नजर महिलाओं की सहभागिता ने चाय सुट्टा बार को अलग ही पहचान
दिलायी है। शहर में इस कैफे की फ्रेंजाइज संचालित की जा रही है। बहरहाल
मौजूदा समय में संचालित इस कैफे में चाय काफी के अलावा 78 प्रकार के
स्नैक का लुफ्त भी खाने के शौकीन उठा सकेंगे। और इसके संस्थापक अनुभव
दुबे आज के दिन मौजूद रहेंगे।