चौकी में खड़ी रेत से भरी ट्रैक्टर-ट्राॅली छुड़ा ले गया माफिया, रोकने पर कुचलने की कोशिश

विजयपुर में वन चौकी पर हमला कर रेत से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली छुड़ा ली। अवैध रेत से भरी यह ट्रैक्टर-ट्रॉली वनकर्मियों ने पकड़ी थी। माफिया ने चौकी पर तैनात वन आरक्षकों के साथ मारपीट की, उनकी वर्दी फाड़ दी, फिर चौकी के मैन गेट का ताला तोड़कर ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर भाग गया।
इस बीच वनकर्मियों ने ट्रैक्टर को रोका तो माफिया ने उन पर ट्रैक्टर चढ़ाने का प्रयास किया। डर कर वनकर्मी चौकी की छत पर चढ़ गए और जैसे-तैसे अपनी जान बचाई। इस मामले में ट्रैक्टर मालिक व ड्राइवर सहित 5 आरोपियों के खिलाफ बरगवां थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है।
हीरापुर वन चौकी के रेंजर को शनिवार की दोपहर सूचना मिली कि फूलदा स्थित बरसाती नदी से उत्खनन कर एक ट्रैक्टर-ट्रॉली में रेत भरकर ले जाई जा रही है। इस पर टीम मौके पर पहुंची और ट्रैक्टर-ट्रॉली को पकड़ लिया, लेकिन मौके से ड्राइवर भाग निकला।
वन टीम ट्रैक्टर-ट्रॉली को लेकर वन चौकी हीरापुर आ गई और ट्रैक्टर-ट्रॉली की जब्ती से लेकर मामले में वन खनिज अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया। इसके बाद शाम 5.45 बजे पकड़ी गई ट्रैक्टर-ट्रॉली छुड़ाने के लिए तिल्लीडेरा निवासी चीतू राठौर व मोनू राठौर सहित अन्य लोग चौकी पर आ धमके। इन लोगों ने वन चौकी परिसर में रखी ट्रैक्टर की चाबी ली और रोकने पर वनकर्मियों से मारपीट शुरू कर दी। माफिया की मारपीट के दौरान वन आरक्षकों की वर्दी तक फट गई।
इसके बाद वनकर्मियों ने ट्रैक्टर-ट्रॉली को रोकने के लिए चौकी के मैन गेट को बंद कर ताला लगा दिया लेकिन माफिया ने इसे पत्थर से तोड़ दिया और ट्रैक्टर-ट्रॉली चौकी से ले भागे। इस मामले में वन आरक्षक अभिषेक चौहान की रिपोर्ट पर से आरोपी ट्रैक्टर ड्राइवर गोठरा गांव निवासी सोमराम आदिवासी, हीरापुर निवासी ट्रैक्टर मालिक हरीशंकर गुप्ता व उसके बेटे अनिल गुप्ता, तिल्लीडेरा निवासी चीतू राठौर व मोनू राठौर के खिलाफ बरगवां थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।
वहीं शहर में कलेक्टोरेट के सामने स्थित ढेंगदा गांव की मोरडूंगरी नदी से अवैध पत्थर खनन, ढोढर में चंबल नदी से रेत खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है। जिसे रोकने के लिए कोई कार्रवाई नही की जा रही है।
सीएम के निर्देश- खनन माफिया पर कार्रवाई करो, लेकिन प्रशासन चुप
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अवैध परिवहन, उत्खनन से लेकर खाद्य पदार्थों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इस पर प्रशासन ने उक्त कार्रवाई के लिए अलग-अलग टीमें तो बनाई, लेकिन टीम बनने के दो माह बाद भी किसी भी टीम ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। इस पर प्रशासनिक अफसरों ने सफाई दी कि बाकी कामों के चलते वह इसमें काम नहीं कर पाए।