केंद्र सरकार ने लोन लेने वाले इंडीविजुअल और एमएसएमई को बड़ी राहत दी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर कहा है कि वह मोरेटोरियम अवधि के 6 महीनों की ब्याज पर ब्याज की माफी को तैयार है। हालांकि, इस ब्याज माफी का लाभ केवल 2 करोड़ रुपए तक के लोन पर मिलेगा। इसके अलावा जिन लोगों ने मार्च से अगस्त तक के बकाया का भुगतान कर दिया है, उन्हें भी ब्याज पर ब्याज की माफी का लाभ मिलेगा।
सरकार वहन करेगी ब्याज माफी का बोझ
वित्त मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट में कहा गया है कि सरकार छोटे कर्जदारों का साथ निभाने की परंपरा जारी रखेगी। एफिडेविट के मुताबिक, ब्याज पर ब्याज या कंपाउंड इंटरेस्ट की माफी से बैंकों पर जो बोझ पड़ेगा, उसको सरकार वहन करेगी। सरकार ने कहा है कि इसके लिए संसद की मंजूरी ली जाएगी।
इनको मिलेगा लाभ
- एमएसएमई लोन
- एजुकेशन लोन
- हाउसिंग लोन
- कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन
- क्रेडिट कार्ड ड्यू
- ऑटो लोन
- प्रोफेशनल्स का पर्सनल लोन
- कंजप्शन लोन
सभी लोन की ब्याज माफी से 6 लाख करोड़ का बोझ पड़ेगा
वित्त मंत्रालय ने एफिडेविट में कहा है कि यदि सभी प्रकार के लोन की मोरेटोरियम अवधि की ब्याज माफ की जाती है तो इससे 6 लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इससे बैंकों की कुल नेटवर्थ में बड़ी कमी आ जाएगी। मंत्रालय के मुताबिक, यदि किसी इंडीविजुअल का लोन 2 करोड़ रुपए से ज्यादा है तो उसे ब्याज पर ब्याज माफी का लाभ नहीं मिलेगा।
5 से 6 हजार करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा
बैंकर्स का कहना है कि केंद्र की योजना के तहत ब्याज पर ब्याज की माफी से 5 से 6 हजार रुपए का बोझ पड़ेगा। यदि सभी वर्गों के कर्जदारों को ब्याज पर ब्याज की माफी दी जाती है तो इससे 15 हजार करोड़ रुपए तक का बोझ पड़ेगा। बैंकर्स का कहना है कि केंद्र सरकार इस ब्याज माफी को अपने सोशल वेलफेयर उपायों के तहत कंपनसेट कर सकती है।
मोरेटोरियम में ईएमआई देने वालों को लेकर स्पष्टता नहीं
हालांकि, वित्त मंत्रालय के एफिडेविट में मोरेटोरियम अवधि के दौरान ईएमआई या क्रेडिट कार्ड के ड्यू का भुगतान करने वालों के लिए किसी लाभ को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।