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बच्चों का एक बैंड ऐसे बन गया परेड ग्राउंड की पहचान

बच्चों का एक बैंड ऐसे बन गया परेड ग्राउंड की पहचान

पुलिस लाइन के आरआई  की बेटी ने घर आकर अपने स्कूल बैण्ड की तारीफ की थी। सुनते ही पिता ने परेड ग्राउंड में आने का आग्रह किया। तब से लेकर आज तक 6 साल हो गए हैं। निरंतर पुलिस लाइन परेड ग्राउंड की शोभा बढ़ा रहा है सेंट माइकल का अद्भुत बैंड!सैकड़ो लोग खासकर युवा और बच्चे परेड ग्राउंड इस बैंड को देखने सुनने भी पहुंचे है ।

 

यूं तो स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस के मौके पर शिक्षण संस्थान अपने स्कूली बच्चों को लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से शासन प्रशासन के पर्वो में हिस्सा लेकर प्रतिभा निखारने पहुते है। वहीं ज़िले में एक ऐसी भी संस्था है जिसने ऐसी अद्भुत बैण्ड तैयारी की है। जो 6 साल से निरंतर फोर्स के जवानों के साथ उनकी कदम ताल पर अपने ड्रम ताल मिला कर तारीफ बटोर रहा है।

परेड ग्राउंड पर प्रस्तुति और सलामी देता बैंड

जी हां, मैं बात कर रहा हूं सेंट माइकल स्कूल के उस बैंड की जिसने कई सालों से परेड ग्राउंड में पुलिस जवानों के बीच महसूस की जा रही बैण्ड की उस कमी को पूरा किया है। बल्कि निरंतर 6 साल से पुरस्कार की फेहरिस्त में अपना पहला स्थान बना कर वाह बाई बटोर रहा है।

 

तत्कालीन मंत्री श्री लाल सिंह आर्य से सम्मान लेते बैंड मास्टर

यहां बता दे। कि तत्कालीन आरआई अरविंद दाँगी के एक बेटी जैशमिन दांगी जो सेंट माइकल स्कूल क्लास सेकेंड में पढ़ती थी उसने अपने पिता को आकर  बैण्ड के बारे में आकर बताया कि बगैर समय कमाए। दांगी अरविंद ने बैण्ड को परेड ग्राउंड में आकर रिहशल में शामिल होने के लिए कहा। फिर शुरू हुआ सिलसिला बैंड की ताल पर जवानों के कदम उठने का।

तैतीस स्कूली बच्चों से तैयार किया गया बैण्ड कई बार अपनी अद्भुत प्रस्तुति के बल पर मंत्रियों तक को दांतो तले उंगली दबाने पर मजबूर कर चुका है। किसी भी राष्ट्रीय पर्व पर बैंड को सुनने और देखने के लिए शहर से बड़ी संख्या में लोग उमडते हैं। बैंड को प्रदेश स्तर पर भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं।

 

तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह भी बच्चो की प्रस्तुति से हो गईं थी मोहित

तीन माह में तैयार किया है 40 बच्चों का यह बैण्ड

स्पोर्ट टीचर संतोष भारद्वाज ने बताया कि इस स्कूली बैंड में इंस्ट्रूमेंट बजाने के लिए 40 बच्चे हमेशा तैयार रखते है। हालांकि इसमें 33 इंस्ट्रूमेंट है जिनको बच्चे एक साथ बजाते रहते हैं। लेकिन इसमे 7 बच्चे अतिरिक्त 7 बच्चे  रखे हैं ताकि कोई बच्चा इंस्ट्रूमेंट बजाते बजाते किसी कारण से असहज हो तो उसकी जगह लगा देते हैं। बैंड में 3 कमांडर रहते हैं। जिसमें एक मुख्य कमांडर होता है, दो अतिरिक्त उसके पीछे चलते हैं। मुख्य कमांडर जो बैंड को कमांड कर रहा होता है। अगर कदमताल में थकावट से कोई दिक्कत आए तो दूसरा कमांडर उसको कलेक्ट कर और परेड को बखूबी अंजाम तक पहुंचा सके।

मुख्य रूप से अतिथियों के स्वागत के लिए तैयार किया गया था बैण्ड। लेकिन,,,,,

स्कूल के मैनेजमेंट डायरेक्टर स्टैनी सर बताते हैं। कि सेंट माइकल स्कूल में जब भी कोई विशेष मेहमान आया करता था। तो स्कूल में पहले से बैंड था वह बजा कर उसका स्वागत करते थे। लेकिन हमारे फादर जॉन डिसूजा ने यह बात रखी कि जब भी कोई अतिथि आए तो उसका गर्मजोशी से स्वागत होना चाहिए। बस इसी बात के मद्देनजर इस बैंड को तैयार करने की योजना बनाई गई। इसके लिए ट्रेनर टीचर ,साजन सर, को केरल से बुलाया गया था।  उन्होंने 3 महीने की कड़ी मेहनत के बाद हमारे स्कूल के 40 बच्चों को ऐसा तैयार किया 6 साल हो गए हैं आज भी उन बच्चों के इंस्ट्रूमेंट की धुन शहर के कोने कोने तक पहुंच रही है।

2014 का वो पल याद है।,,,,,

परेड ग्राउंड में जिस वक्त पहलीबार धुन बजाकर प्रदर्शन किया। तो तालियों की गड़गड़ाहट से रोंगटे खड़े हो गए थे लोगों के। फादर जॉन डिसूजा बताते हैं कि 2014 में जब पुलिस परेड ग्राउंड में स्कूली बच्चों ने बैंड पर पांचों धुनों को बजाते हुए जवानों के कदमताल पर सुर से सुर मिलाते हुए प्रदर्शन किया तो आए हुए अतिथियों के खुशी से आंसू छलक पड़े और खड़े होकर उन लोगों ने बैण्ड का इस तरह अभिवादन किया। जिसको आज भी याद करते हैं हम।

बैंड की टीम को कई मंत्रियों ने पुरस्कृत किया है

ग्राउंड में बैंड की टीम को कई मंत्री ने प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत कर चुके हैं। प्रिंसिपल जॉन डिसूज़ा बताते है। कि माया सिंह, लाल सिंह आर्य के अलावा डॉक्टर गोविंद सिंह ने बैंड टीम में शामिल बच्चों को प्रमाण पत्र के अलावा कुछ धनराशि से उत्साह वर्धन किया है।

रिपोर्ट –  हसरत अली 

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