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माकपा के सवाल – भाजपा के सत्ता में आते ही क्यों बढ़ जाती है खाद की कालाबाजारी

माकपा के सवाल – भाजपा के सत्ता में आते ही क्यों बढ़ जाती है खाद की कालाबाजारी

भोपाल। जब खरीफ की फसल की बोवनी के लिए खाद और बीज की जरूरत है, तब मध्यप्रदेश का किसान खाद और बीज की कालाबाजारी और इसके साथ ही नकली खादों और बीजों के गोरखधंधे से लुट रहा है। प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की सरकार चुप्पी से साफ है कि वह किसानों की बजाय किसानों को लूटने वाले गिरोह के साथ है।
मार्क्सवादी  कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा है कि केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पहले ही 50 किलो वाले युरिया के बैग को 45 किलो का कर दिया था। अब राज्य सरकार द्धारा खाद की समुच्चित व्यवस्था न कर खाद की कालाबाजारी के रास्ते खोल दिए हैं। अब 266 रुपए वाला यूरिया 550 रुपए में बिक रहा है। इतना ही नहीं 311 रुपए वाला सुपर 400 रुपए में, 775 रुपए वाला पोटाश 900 रुपए में और 1150 रुपए वाला डीएपी 1250 से लेकर 1400 रुपए तक में कालाबाजारी में बिक रहा है।
माकपा नेता ने कहा है कि भाजपा के सत्ता में आते ही खाद और बीज की कालाबाजारी का बढऩा और नकली खादों के कारोबार का फलना फूलना साबित करता है कि भाजपा सरकार कालाबाजारियों के साथ है।
जसविंदर  सिंह ने कहा है कि कृषि मंत्री खुद ही स्वीकार कर रहें हैं कि माँनसून आने से पहले तक सरकार ने केवल आवश्यकता से आधी मात्रा में ही खाद की उपलब्ध कराई है। दूसरी ओर सरेआम हो रही कालाबाजारी को रोकने की बजाय प्रशासन का हाथ पर हाथ धरे बैठना साबित करता है कि यह कालाजारी राजनीतिक संरक्षण में प्रशासन और कालाबाजारियों की सांठगांठ  से हो रही है।
माकपा ने राज्य सरकार को तुरुंत कालाबाजारी पर रोकने और पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराने की मांग की है।
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