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सोनिया को ट्वीट के बहाने पवैया ने भाजपा नेताओं का दर्द बयां किया

सोनिया को ट्वीट के बहाने पवैया ने भाजपा नेताओं का दर्द बयां किया

ग्वालियर । एक तरफ भाजपा मप्र में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को लेकर फिर से भाजपा में वापिसी कर चुकी है और यहां भाजपा नेता हाशिये पर आ रहे है । अब राजस्थान में सचिन पायलट के भाजपा में शामिल होने की अटकलों ने भाजपा के नेताओं को भाजपा के लगातार होते कांग्रेसीकरण ने चिंतित कर दिया है। जबलपुर के एक भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री विश्नोई लगातार ट्वीटर पर अपना दर्द बयां कर ही रहे थे आज संघ से जुड़े भाजपा के फायरब्रांड नेता पूर्व मन्त्री जयभान सिंह पवैया ने पार्टी के कांग्रेसीकरण से दुखी भाजपा कार्यकर्ताओं का इज़हार किया हालांकि ट्वीट सोनिया गांधी को संबोधित हैं।
श्री पवैया ने आज एक ट्वीट किया है । यह सोनिया गांधी को संबोधित है लेकिन इशारा ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट की सियासत की तरफ है । उंन्होने लिखा है – “हे । कांग्रेसी राजमाता ।अपने कुनबे को संभालिए न, आखिर आपकी रूठी हुई राजनैतिक संतानों को हम अपने हिस्से का कितना प्यार लुटाते रहेंगे। यदि नहीं संभलता तो किसी दिवालिया फर्म की तरह कि कॉन्ग्रेस प्रालि का शटर बन्द क्यों नही कर देतीं ? आप और देश दोनों सुकून में रहेंगे।”
इस ट्वीट से भाजपा के कांग्रेसीकरण के कारण पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के मन मे व्याप्त चिंता और दुख का इज़हार किया जा रहा है । पहले मन्त्री बनाने और फिर विभाग वितरण में भाजपा के अनेक नेता हाशिये पर चले गए है और सिंधिया समर्थक हाबी है । इसको लेकर गोपाल भार्गव के बाद अब अजय विश्नोई लगातार इशारों – इशारों में भाजपा को नसीहत दे रहे है और आज पवैया ने साफ कर दिया कि कांग्रेस से आने वाले नेता पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओ के हिस्से का प्यार खा रहे है ।
सबसे मजेदार ये है कि उन्होंने अपना आग्रह भाजपा आलाकमान से करने की जगह कांग्रेस नेत्री सोनिया गांधी से किया है जिसमें उंन्होने राजमाता शब्द का उपयोग करके साफ संकेत दिया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया से उनके समझौते की कोई उम्मीद नही है ।
सिंधिया विरोधी रहे है पवैया
श्री पवैया शुरू से ही सिंधिया परिवार के सामंतवाद के विरोधी रहे है और उस पर निशाना साधते रहे। वे सिंधिया परिवार को 1857 की क्रांति का गद्दार बताते रहे है और दावा करते रहे कि रानी लक्ष्मीबाई की शहादत के लिये यह परिवार ही जिम्मेदार है । उंन्होने पहला चुनाव माधव राव सिंधिया के खिलाफ ही लड़ा और उन्हें पराजय के एकदम नजदीक ला दिया और वे फिर कभी ग्वालियर से चुनाव नही लड़े । पवैया सांसद बने तो उन्होंने बलिदान मेला शुरू कर दिया जिंसमे नृत्य नाटिका में सिंधिया को अंग्रेजो का हमदर्द बताया जाता है ।
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