विरोध के बावजूद भारत ने Galwan River पर बना लिया पुल

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ सटी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण गलवान घाटी में भारतीय सेना ने Galwan River पर 60 मीटर लंबा पुल भी तैयार कर लिया है। चीन को इसी पुल पर सबसे ज्यादा आपत्ति थी, लेकिन भारतीय सेना ने इसे तैयार कर लिया। भारतीय सेना ने इससे पहले गलवान घाटी पर कब्जा करने के चीनी सैनिकों के मंसूबे को नाकाम किया था।
पुल के निर्माण से भारतीय सेना को दौलत बेग ओल्डी (DBO) और काराकोरम तक तेजी से पहुंचने में मदद मिलेगी। पुल के बनने से एलएसी के अंतिम छोर तक सैनिकों व सैन्य साजोसामान की आवाजाही भी आसान हो गई है। यह पुल गुरुवार को ही बनकर तैयार हुआ है। यह 4-स्पैन पुल है जो श्योक व गलवन दरिया के संगम से करीब तीन किलोमीटर पूर्व में है। पहले इस नाले पर एक लकड़ी का पुल था। लकड़ी के पुल से सैन्य वाहनों व साजोसामान को पार कराना मुश्किल होता था।
Galwan Valley में तैनात सेना के एक अधिकारी के अनुसार चीन की शुरू से ही गलवन घाटी पर नजर रही है। इस घाटी में अगर चीन का कब्जा हो जाता है तो भारतीय सेना का दौलत बेग ओल्डी एयरफील्ड और काराकोरम दर्रे तक पहुंचना मुश्किल हो जाता। यह सिल्क रूट का भी हिस्सा है। इस घाटी पर चीन के कब्जे का मतलब चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख में नाकेबंदी। दौलत बेग ओल्डी के लिए सड़क भी इसी रास्ते से निकलती है और काराकोरम का रास्ता भी यही है।