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भाजपा ने महाराजा और कांग्रेस ने राजा को राज्यसभा भेजा 

भाजपा ने महाराजा और कांग्रेस ने राजा को राज्यसभा भेजा 

 

भाजपा ने दो और कांग्रेस ने जीती एक सीट , आदिवासी सोलंकी भी जीते
भोपाल ।  कोरोना संक्रमण के चलते टाले गए राज्यसभा चुनावो के लिए आज हुए मतदान में तय मुताबिक ही परिणाम आये । तीन में से दो सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की जबकि कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीत सकी । खास बात ये रही कि प्रदेश से तीन में से महाराजा और राजा जीतकर गए है और वह भी अलग अलग पार्टी से । सबसे अधिक वोट पाने वाले राजा दिग्विजय सिंह ही रहे । उन्हें 57 वोट मिले । पार्टी के अलावा एक निर्दलयीय ने भी उन्हें वोट दिया जबकि कांग्रेस सरकार गिराने वाले महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को 56 मत मिले । भाजपा के सुमेर सिंह सोलंकी को 55 वोट मिले जबकि क्रोस वोट करने वाले दोनों वोट निरस्त कर दिए गए क्योंकि इनको लेकर किसी ने कोई शिकायत नही की इसलिए इन्हें क्रोस नही माना गया ।
भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा की दो सीटें जीतने कब लिए अपनी जो चौसर बिछाई थी उसमें भाजपा कामयाब रही। 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में 15 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा सत्ता से बेदखल हो गई थी और कॉंग्रेस ने पंद्रह साल बाद प्रदेश में कमल नाथ के नेतृत्व में सरकार में वापिसी की थी हालांकि वह स्पष्ठ बहुमत हासिल नही कर सकी थी लेकिन वह उसके नजदीक थी और सबसे बड़ा दल भी । कांग्रेस ने 114 सीट जीती थी जो बहुमत से महज दो सीट कम थी । उसने सपा,बसपा और निर्दलीयों को साथ लेकर सरकार बनाई थी । बाद में उप चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस बहुमत में भी आ गयी और उसे राज्यसभा की तीन में से दो सीटें जीतने का अंक गणित कांग्रेस के पक्ष में था । एक सीट के लिए 58 वोट चाहिए थे इस हिसाब से 116 वोट की जरूरत थी जो कांग्रेस के पास अपने ही थे जबकि सपा,बसपा और निर्दलीय मिलाकर 122 थे ।
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भाजपा हाइकमान चाहता था कि एमपी से हर हाल में दो सीटें जीते । इसके लिए डॉ नरोत्तम मिश्रा को लगाया गया । उंन्होने कांग्रेस में ही सेंध लगाने की कोशिश शुरू की । लोकसभा चुनाव में हार से आहत सिंधिया परेशान थे । वे राज्यसभा में जाना चाहते थे लेकिन काँग्रेस में दबदबा बनाये कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर उन्हें भरोसा नही था । भाजपा ने उनकी दुखती रग पर हाथ रखा और पांसा पलट दिया । कांग्रेस के 22 विधायकों को सिंधिया सहित इस्तीफा देने के लिए तैयार कर लिया । दो सीटें विधायको के निधन के कारण पहले से ही खाली थी ।
पांसा पलट चुका था । भाजपा ने राज्यसभा जीतने के लिए शुरू की गई जंग में सरकार में भी वापिसी कर ली । अब राज्यसभा में सदस्यों की संख्या के मुताबिक एक सदस्य की जीत के लिये महज 52 वोट की दरकार थी और भाजपा के पास अपने ही 106 वोट थे जबकि कांग्रेस 92 पर सिमट गई थी । अल्पमत का लाभ उठाने को तत्पर सपा,बसपा और निर्दलीयों को भी काँग्रेस संभाल नही पाई वे नई सत्ता के साथ चले गए । परिणाम सामने है । हाइकमान की मंशा के मुताबिक भाजपा ने एम से दो राज्यसभा सदस्य भेज दिए बल्कि शक्तिशाली युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके विधायक और समर्थकों को तोड़कर कांग्रेस की कमर भी तोड़ दी और भाजपा को मजबूत कर महज एक साल बाद ही फिर से सत्ता में वापिसी कर ली हालांकि बदले में सिंधिया को राज्यसभा भेजना पड़ा।
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