जिद पर अडे शराब कारोबारी, 80 फीसदी दुकानें बंद

प्रदेश में पहली बार शराब कारोबारी और सरकार आमने-सामने आ गए हैं। सरकार दुकानें खुलवाना चाहती है और कारोबारी बंद रखना। दरअसल, वाणिज्यिक कर विभाग ने लॉकडाउन के कारण हुए नुकसान की भरपाई का जो विकल्प दिया है, उससे दुकान संचालक संतुष्ट नहीं हैं। अपनी मांगों पर अड़े कारोबारियों ने मंगलवार को 80 फीसदी दुकानें बंद रखीं। उधर, सरकार ने इन्हें 28 मई तक विकल्प (दो माह अतिरिक्त ठेका चलाने और वार्षिक शुल्क में छूट) चुनने का मौका दिया है।
27 मई को हाईकोर्ट में दुकान संचालकों की याचिका पर सुनवाई है। उधर सरकार की रणनीति 28 मई तक चुप्पी साधकर रखने की है। मामला नहीं सुलझने पर 29 मई को शराब दुकानों को लेकर रणनीति तय की जाएगी। प्रदेश में इस बार तीन हजार 605 (एक हजार 61 विदेशी और दो हजार 544 देसी) शराब दुकानों के लिए 25 प्रतिशत अधिक दर पर ठेके हुए हैं। सरकार को इससे करीब साढ़े 13 हजार करोड़ रुपये की वार्षिक आय होने की उम्मीद है और विभिन्न तरह के लाइसेंस शुल्क को भी मिला लिया जाए तो करीब 15 हजार करोड़ रुपये का राजस्व आबकारी से मिलने का अनुमान लगाया गया है।
ठेकेदारों ने आकर्षक आबकारी नीति के तहत ठेके लिए थे, लेकिन नया वित्तीय वर्ष शुरू होते ही कोरोना महामारी ने ऐसी दस्तक दी कि लॉकडाउन हो गया और शराब दुकानें करीब डेढ़ माह खुल ही नहीं पाईं। जबकि ठेकेदारों के मुताबिक यही वह सीजन होता है, जब शराब की सर्वाधिक खपत होती है। राजस्व के नुकसान को मद्देनजर रखते हुए लॉकडाउन के दौरान ही जब सरकार ने सशर्त शराब दुकानें खोलने की अनुमति दी तो कुछ जिलों में ठेकेदार तैयार ही नहीं हुए।