सिंधिया की गुमशुदगी के पोस्टर लगाने वाले कांग्रेस नेताओं को मिली जमानत

ग्वालियर- जिला न्यायालय ने कांग्रेस के उन तीन नेताओं की जमानत याचिका सोमवार शाम को स्वीकार कर ली जिनके खिलाफ झांसी रोड थाने में रविवार को धारा 188, संपत्ति विरूपण और 505 वन सी के तहत मामला दर्ज किया गया था। कांग्रेसी नेता सिद्धार्थ राजावत अभिषेक भदौरिया और जवान गुर्जर पर यह मामला भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की शिकायत के बाद दर्ज किया गया था ।
इन नेताओं पर आरोप है कि उन्होंने जय विलास परिसर के गेट पर भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की गुमशुदगी के पोस्टर लगाए थे और उनका सुराग बताने वाले को 5100 रुपए का इनाम दिए जाने की घोषणा की थी। उपचुनाव से पहले छिंदवाड़ा से शुरू हुए पोस्टर युद्ध में ग्वालियर रविवार बेहद को गर्म रहा था। रविवार को देर शाम कांग्रेस नेताओं को जिला न्यायालय में पेश किया गया था उस समय मजिस्ट्रेट जा चुके थे। इसलिए उन्हें सोमवार की दोपहर जिला न्यायालय में पेश किया गया। बचाव पक्ष के वकील का कहना था कि यह पोस्टर राजनैतिक नहीं था बल्कि एक जनसेवक के नाते लगाया गया था। अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भारतीय संविधान में दिया हुआ है उसी के तहत यह पोस्टर लगाए गए थे। जिसमें किसी भी राजनीतिक दल का उल्लेख नहीं था ।यह भारतीय संविधान के आर्टिकल 19 के तहत आता है। इसी तरह के एक मामले में कोलकाता हाईकोर्ट ने भी एक जर्नलिस्ट्स को जमानत दी थी। बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद एडीजे कोर्ट ने कॉन्ग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सिद्धार्थ राजावत अभिषेक भदौरिया और जवान गुर्जर को पच्चीस पच्चीस हजार के निजी मुचलके पर जमानत पर छोड़ने के आदेश जारी किए। इस मौके पर सिद्धार्थ राजावत का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी सत्ता का दुरुपयोग कर रही है और आवाज उठाने वालों पर दमन की नीति अपना रही है साथ ही उन्हें गोडसे की विचारधारा वाली पार्टी भी बताया। उन्होंने अपरोक्ष रूप से ज्योतिरादित्य सिंधिया पर सामंतवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया इतना ही नही सिद्धार्थ द्वारा अपने व अपने परिवार को सिंधिया व उनके समर्थकों से जान का खतरा बताया है।