चमगादड़ों से भयभीत ग्रामीण ,कमिश्नर बोले -डरने की जरूरत नहीं
April 17, 2020

रीवा। रीवा और सतना इलाके में मौजूद चमगादड़ों से इलाके में ग्रामीण दहशत में है। उन्हें इस अफवाह रखा है कि कोरोना बायर्स चमगादड़ से फैला है। अब प्रशासन मिटाने में लगा है। रीवा के संभागीय आयुक्त डॉ अशोक भार्गव ने लोगों से कहाहै कि चमगादड़ ईको सिस्टम बनाने में महत्वपूर्ण है और इससे डरें नहीं और न ही इससे कोरोना फैलेगा।
शहर से 25 किमी दूर रीवा-सतना की सीमा में स्थित बकिया गांव में संन्नाटा पसरा है लाॅक डाउन के साथ ही चमगादड़ों से यहां के लोग खौफजदा है। वजह यहां स्थित है वर्षो पुराना पीपल बरगद और आम का पेड। इस पेड में खतरनाक चमगादड़ों का बसेरा है। हजारो की तादात में चमगादड़ कई वर्षो से यहां रह रहे है। चमगादड़ो से पहले किसी को कोई खतरा नही था लेकिन जब से चमगादड़ों में कोरोना वायरस होने की खबर फेली है गांव में लोग दहशत में है। वाइल्ड लाइफ के जानकार पुष्पराज सिंह की माने तो ये चमगादड़ काफी खतरनाक प्रजाति के है इन्हे मैगा ब्राउन बैट कहा जाता है। वैज्ञानिको ने शोध में पाया है कि ये चमगादड अन्य चमगादड से काफी ज्यादा खतरनाक होते है। ये तेजी से काम करते है और यह संक्रमण व्यापक स्तर पर फेला सकते है। पूरा गांव इनकी चपेट में आ सकता है, पेड, हवा, पानी के साथ ही इनकी बीट से भी लोग संक्रमित हो सकते है।
यूं तो सैकडो वर्षो से यहां पर चमगादडो का बसेरा है एक किवदंती है कि इस जगह पर साधू संतो ने विशाल यज्ञ किया था। उसी दौरान ये चमगादड़ यहां पर आये। पहले लोग प्राचीन मंदिर में पूजा अर्चना करने आया करते थे लेकिन जब से कोरोना वायरस का वाहक चमगादड़ के होने की खबर लोगों को लगी है लोग डर गये है।
वैसे तो विन्ध्य क्षेत्र कोरोना वायरस से बचा हुआ है रीवा सीधी सतना सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया जिले में कोरोना पाजटिव नही मिला है। लेकिन यहां चमगादडों के बसेरा से प्रशासन इस पूरी तरह अनजान है। चमगादडों का झुंड पेड के आसपास पूरे दिन मडरात है और रात होते ही पेड से गायब हो जाते है। ऐसे में खतरा और भी बढ जाता है गांव के लोग चमगादडों खौफ में जीने को मजबूर हो जाते है।
उधर में व्याप्त इस भय को भगाने में प्रशासन भी जुट गया है। संभागीय डॉ अशोक भार्गव ने कहा है कि अभी तक ऐसे कोई वैज्ञानिकी संकेत नहीं मिले है कि कोरोना के फैलने की बजह चमगादड़ है। उन्होंने इस बारे में वन्य प्राणी विशेषज्ञों और अफसरों से भी बात की है और वे भी ऐसा ही मानते है। इसलिए ग्रामीण अफवाहों पर ध्यान न दें और निश्चिन्त रहे। सरकार द्वारा घोषित लॉक डाउन का पालन करें और कोरोना के खिलाफ जारी युद्ध में सहयोग करें।