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 लॉक डाउन में ऐसे मजे से समय काट रहे हैं लोग

 लॉक डाउन में ऐसे मजे से समय काट रहे हैं लोग

कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण देशभर में लॉक टाउन के दौरान शहरवासियों में एक बड़ा बदलाव आया है अभी तक मल्टी और सोसाइटी में रहने वाले लोग अपने काम में इतने व्यस्त रहते थे कि उनको यह भी पता नहीं होता था कि पड़ोस में कौन रह रहा है लेकिन इस लॉक डाउन में जब से लोग घर पर हैं वह पहले की तुलना में ज्यादा सोशल हो गए हैं ऐसे में ग्वालियर शहर की अधिकांश सोसाइटी और मल्टी में रहने वाले लोग दिन और शाम के समय में अपनी अपनी बालकनी में आ जाते हैं इस दौरान कभी वह माइक के सहारे अंताक्षरी खेलते हैं तो कभी हाउजी गेम्स के माध्यम से जहां लोगों का मनोरंजन हो रहा है वहीं उनके पड़ोसियों से भी बेहतर संबंध बन गए हैं ऐसा ही नजारा ग्वालियर के सिंध बिहार नदी गेट क्षेत्र में स्थित सोसाइटी में देखने को मिला यहां के रहवासियों ने अंताक्षरी और हाउजी गेम खेलना शुरू कर दिया है यहां रहने वाले लोगों की दो टीमें बनाई जाती है जो अपने घरों की बालकनी में तय समय पर खड़े हो जाते हैं इसके बाद एक्टिविटी होती है रोजाना शाम को व्हाट्सएप ग्रुप पर अगले दिन की एक्टिविटी और समय तय किया जाता है लॉक डाउन के दौरान लोग घरों से बाहर नहीं निकले इसलिए इसमें तकनीक का सहारा भी लिया जा रहा है ब्लूटूथ माइक से कभी अंताक्षरी तो कभी हाउजी एक्टिविटी हो रही है सबसे खास बात यह है कि हर रोज एक्टिविटी की शुरुआत हनुमान चालीसा के पाठ से होती है जिसके शुरू होते ही सोसाइटी के रहने वाले सभी लोग एक-एक करके अपने घरों के बाहर बालकनी में आ जाते हैं और पाठ के समाप्त होते ही शुरू होता है एक्टिविटी का दौर। सोसायटी के वृद्ध छोटे बच्चे एवं युवाओं का मानना है कि लोक डाउन के चलते घरों के अंदर रहते हुए नेगेटिविटी हावी ना हो इसके लिए यह प्रयास सोसाइटी के लोगों ने मिलकर शुरू किया है ताकि पॉजिटिव एनर्जी को खुद के अंदर बढ़ाया जा सके और सोशल होने का भी मौका मिल सके,,,, सोसाइटी के बच्चों का मानना है कि पहले वह मोबाइल टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में बिजी रहते थे लेकिन इस लॉक डाउन के दौरान अपने माता-पिता व दादा दादी के जमाने में सबसे ज्यादा जिस खेल को खेला जाता था उस अंताक्षरी खेल को समझने का मौका उन्हें इस दौरान मिला है। बहराल ग्वालियर के इस सोसाइटी की पहल के बाद सभी को एक अच्छा मैसेज गया है कि कोरोना से डरना नहीं है घरों में रहकर भी लोग सोशल हो सकते हैं और इस महामारी के संकट से खुद को और परिवार को बचाया जा सकता है
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