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ग्वालियर की स्टूडेंट न्यूज़ीलैंड में कोरोना से लोगों को बचाने की जंग में योद्धाओं की तरह लड़ रही है 

ग्वालियर की स्टूडेंट न्यूज़ीलैंड में कोरोना से लोगों को बचाने की जंग में योद्धाओं की तरह लड़ रही है 

ग्वालियर।  एक ओर जहाँ भारत सहित पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है। दुनिया भर में लाखो लोग कोरोना की चपेट में आ चुके है और इस जानलेवा बीमारी से बचने के लिए सरकार इसके संक्रमित मरीजों से बचने की न केवल सलाह दे  रही है बल्कि इसके लिए लॉक डाउन तक कर रही है लेकिन ऐसे में ग्वालियर में नर्सिंग की पढ़ाई करने वाली एक बेटी अपने शिक्षा धर्म को निभाते हुए सात समंदर पार कोरोना से लोगों की जान बचाने में जी जान से जुटी हुई है।

इस बेटी का नाम है – अनु। मूलत:उत्तर प्रदेश  में जन्मी अनु का ननिहाल एमपी में होने के कारण उसने अपनी पढ़ाई ग्वालियर में की और यहाँ के बिरला नर्सिंग इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर से एमएससी माइक्रोवायलोगी  की पढ़ाई अच्छे नम्बर्स में पास की। नंबरों के आधार पर अनु को दिल्ली के प्रसिद्द और प्रतिष्ठित सफदरजंग हॉस्पिटल में ट्रैनिग करने के बाद उसे न्यूज़ीलैंड में नौकरी मिल गयी। बीते दो साल से वह वही रहकर लोगों की सेवा कर रही है।
अनु के मामा दिल्ली नोएडा में पत्रकार है। दिनेश गौड़  इनका नाम है।  उन्होंने “इंडिया शाम तक डॉट कॉम “  को बताया कि उनकी भांजी अनु विवाहित है और उसका इकलौता छह वर्षीय बेटा झांसी में अपने परिजनों के साथ रहता है। कोरोना की समस्या  आने पर परिजनों ने उसे वापिस देश लौट आने को कहा लेकिन उसने कहाकि इस समय समाज को उसकी जरूरत है इसलिए वह इस संकट की घडी में अपने कर्तव्य  से  मोड़ सकती।  समय न्यूज़ीलैंड में करना  लोगों के  सेवाएं  दे रही है।  परिजनों का कहना है कि हालाँकि इस समय चिकित्सा सेवाओं में व्यस्तता अधिक है बावजूद जब भी उसे समय मिलता है वह अपने बेटे और  परिजनों से फोन और वीडियो कॉल पर बात कर लेती है। उसके सेवा भाव से उसके  अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं हालाँकि  लेकर चिंतित भी रहते हैं।
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