राजबाड़ा पर शुरू हुआ रंगपंचमी का जश्न, लोगों ने जमकर उड़ाया रंग-गुलाल

इंदौर. कोरोना वायरस के चलते शहर में निकलने वाली ऐतिहासिक गेर 93 साल में पहली बार भले ही नहीं निकल पाई हो, लेकिन रंग खेलने वाले सुबह से ही राजबाड़ा पर पहुंच गए। रंग पंचमी मनाने हजारों की संख्या में यहां पहुंचे लोगों ने जमकर रंग-गुलाल उड़ाया। इस दौरान ढोल की थाप पर लोगों ने डांस किया। एक संस्था द्वारा यहां एक हजार से ज्यादा मास्क बांटे गए। सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी भी मास्क पहने हुए नजर आए।
आयोजकों के साथ देर रात बैठक कर सभी आयोजन निरस्त किए
कोरोना के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने रंगपंचमी पर निकलने वाली सभी गेर की अनुमति को निरस्त कर दी। यूं तो गेर 1927 से चल रही है, लेकिन आजादी के बाद से यह नियमित हो गई। इसके बाद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब रंगपंचमी पर गेर नहीं निकली, वरना आपातकाल, दंगों और भीषण सूखे के दौर में भी सिलसिला नहीं थमा। प्रशासन ने शुक्रवार देर रात आयोजकों के साथ बैठक कर रंगपंचमी से जुड़े अन्य सभी कार्यक्रम भी रद्द कर दिए।
1976 : आपातकाल की बंदिश में भी सीएम ने दिलवाई अनुमति
आपातकाल के दौरान श्यामाचरण शुक्ल सीएम थे। संगम गेर के संयोजक प्रेमस्वरूप खंडेलवाल ने बताया, 1976 में गेर की अनुमति न मिलने के संकेत हमें मिल गए थे। हफ्तेभर पहले तत्कालीन एडीएम रावत और सीएसपी नरेंद्रसिंह ने कहा कि पैदल घूमते हुए गेर निकाल लो। हम सभी ने विरोध किया। बात सीएम तक पहुंची। उन्होंने कलेक्टर सूद से रास्ता निकालने को कहा। सूद साहब मल्हारगंज आए और आयोजकों से बोले- आप तो गेर निकालो, परंपरा में हम कहीं बाधा नहीं बनेंगे।