उर्मिला बनीं ‘मिस हिमोग्लोबिन’, दूसरे नंबर पर रही सुनीता

इंदौर । महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए कस्तूरबा ग्राम में आयोजित शक्ति सम्मेलन में करीब 1500 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व छात्राएं पहुंचीं। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक की तरफ से यहां रक्त परीक्षण शिविर लगाया गया। इसमें शाम तक 300 से अधिक महिलाओं ने रक्त परीक्षण कराया।
कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट ने महिलाओं के लिए मिस हीमोग्लोबिन प्रतियोगिता आयोजित की। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इंदौर की उर्मिला का हीमोग्लोबिन 13.1 ग्राम मिलने पर उन्हें ‘मिस हीमोग्लोबिन” का खिताब दिया गया।
दूसरे नंबर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सुनीता रही जिनका हीमोग्लोबिन 12.1 ग्राम पाया गया। तीसरे नंबर पर रही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता संगीता का हीमोग्लोबिन 12 ग्राम निकला। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमित्रा यादव के अनुसार सामान्य तौर पर महिलाओं में 11 से 13 ग्राम के बीच हीमोग्लोबिन बेहतर माना जाता है। यदि किसी महिला का हीमोग्लोबिन 13 ग्राम से अधिक है, तो इसे काफी बेहतर स्थिति मानी जाती है। रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा को प्रति डेसीलीटर से मापा जाता है।
मोहनदास करमचंद गांधी अगर महात्मा गांधी बने तो वे बा के कारण बने। बाल्यावस्था में विवाह हुआ, इसके बाद दोनों का जीवन संघर्ष का रहा। बा किसी भी बात में समझौता नहीं करती थीं। सही को सही ही कहती थीं। नारी सशक्तिकरण का जो काम बा ने किया, वह आज की पीढ़ी के लिए निश्चित रूप से प्रेरणादायक है। महात्मा गांधी ने यह पहला ट्रस्ट बनाया, जो महिलाओं और छात्राओं को स्वावलंबी बनाने के लिए काम कर रहा है।
यह बात सांसद शंकर लालवानी ने शनिवार को कस्तूरबा ग्राम में बा-बापू के 150वें जयंती वर्ष महोत्सव में कही। इसमें 1500 से अधिक बालिकाएं व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शामिल हुईं। कस्तूरबा आश्रम की बालिकाओं ने मनमोहक आदिवासी नृत्य प्रस्तुत किया।
सांसद ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। वे सेवा भाव से सभी काम करती हैं, लेकिन उन्हें दूसरा काम भी दिया जा रहा है। यह नहीं देना चाहिए। दूसरा काम देने पर बच्चों के पोषण व शिक्षण का काम प्रभावित होता है। मानदेय भी बढ़ना चाहिए।