एमपी में प्रमोशन के लिए करना होगा और इंतजार, नहीं हो सकी सुनवाई
भोपाल । प्रमोशन में आरक्षण मामले को लेकर सुप्रीमकोर्ट में 28 जनवरी को सुनवाई प्रस्तावित थी, लेकिन दैनिक सुनवाई में नम्बर नहीं आने पर सुनवाई नहीं हो सकी अब इसके लिए नई तिथि घोषित होगी दरअसल हाईकोर्ट ने राज्य के वर्ष 2002 के पदोन्नति में आरक्षण के नियमों को 2016 में रद्द कर दिया था हाईकोर्ट ने कहा था कि पदोन्नति में आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही बताते हुए मामले में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे तभी से यह मामला कोर्ट में लंबित है चार साल से पदोन्नतियां रुकी हैं इसलिए राज्य सरकार चाहती है कि नियमों को बहाल करते हुए कर्मचारियों को प्रमोशन दिया जाए इस सुनवाई के लिए सरकार ने तैयारी भी कर ली थी लेकिन नम्बर नहीं आने के कारण एक बार यह मामला फिर टल गया है
*सशर्त प्रमोशन के प्रयास में सरकार* –
सरकार चाहती है कि प्रदेश के अधिकारी-कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन सशर्त पदोन्नति मिल सके इसमें सरकार अभी पदोन्नति दे देगी और बाद में कोर्ट का जो फैसला आएगा, उसका पालन किया जाएगा
*शिवराज ने उम्र बढ़ाकर डाला था मामला* –
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कर्मचारियों के आक्रोश को कम करने के लिए उनकी सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 कर मामले को टाल दिया था
*हर साल सेवानिवृत्त हो रहे 10 हजार लोग*
सामान्य प्रशासन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन लगाकर यथास्थिति को स्थगन में बदलने और सशर्त पदोन्नति देने की अनुमति मांगने का प्रस्ताव तैयार कर लिया था इसे मुख्यमंत्री सचिवालय भेजा गया लेकिन पूर्ववर्ती शिवराज सरकार में मंथन का दौर ही चलता रहा इसके बाद विधानसभा और लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई बताया जाता है कि हर साल 10 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी बगैर पदोन्नति पाए ही रिटायर हो रहे हैं।