सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नागरिकता कानून पर केंद्र का पक्ष भी सुना जाए, तब तक रोक नहीं लगाएंगे

नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर दायर 144 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार का पक्ष भी सुना जाएगा, तब तक कानून पर रोक नहीं लगाएंगे। सरकार की ओर से अटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सीएए को लेकर 144 याचिकाएं दायर हो चुकी हैं। अब नई याचिकाएं स्वीकार न की जाएं। अगर नई याचिकाएं आती रहीं तो हमें हर जवाब देने के लिए और ज्यादा समय चाहिए। अटॉर्नी जनरल ने इसके लिए 6 महीने का वक्त मांगा है।
सुनवाई शुरू होने से पहले ही अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा- कोर्ट का माहौल शांत रहना जरूरी। उन्होंने चीफ जस्टिस से कहा- इस कोर्ट में कौन आ सकता है और कौन नहीं, इस पर नियम होने चाहिए। अमेरिकी और पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में भी कोर्ट रूम के अंदर आने वालों के लिए कुछ नियम हैं।
सिब्बल ने कहा- अप्रैल में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसलिए कोर्ट को उससे पहले कुछ करना चाहिए। एनपीआर को 3 महीने के लिए टाला जाए, तब तक जज नागरिकता कानून पर चल रहे विवाद पर फैसला ले सकते हैं।
सिब्बल ने कहा- कोर्ट को फैसला करना चाहिए कि इन याचिकाओं को संविधान बेंच के पास भेजा जाए या नहीं।
एजी ने कहा- केंद्र को असम से जुड़ी याचिकाएं नहीं दी गईं। जो याचिकाएं हमें नहीं दी गईं, उनमें प्रतिक्रिया के लिए समय दिया जाए।
चीफ जस्टिस बोले- सिर्फ एक पक्ष को सुनकर फैसला नहीं लिया जाएगा। हमें केंद्र को सुनना होगा।
सीएए के तहत 31 दिसंबर 2014 से भारत में आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन बिल को मंजूरी दी थी। इसके बाद यह कानून बन गया। इसके विरोध में पूर्वोत्तर समेत देशभर में प्रदर्शन हुई। इस दौरान हुई हिंसा में यूपी समेत कई राज्यों में लोगों की जान भी गई।